'शहज़ादे' - 'माँ बेटे' - 'माँ बेटी बेटे' - 'जीजा' - 'साले' - 'दामाद' .... रटते रहे चिल्लाते रहे चिढ़ाते रहे धिक्कारते रहे तंज़ कसते रहे निर्लज्ज हो मज़े लेते रहे ....
फिर बारी आई बाप बेटी की .... बोलते धिक्कारते बाप बेटी से ना मालूम कौन कौन से रिश्ते जोड़ लिए .... अब तो ना बाप बोलते हैं ना बेटी ....
और अब स्वयं ही रोने लगे .... माँ - माँ - माँ .... मेरी माँ ....
और जो थोड़ा सा टोंचा क्या लगा - छुईमुई हो गए - विलापने लगे - माँ पर राजनीति नहीं होनी चाहिए ....
दूसरे के व्यक्तिगत रिश्तों पर टीका टिप्पणी करते रहे और माँ पर राजनीति भी खुद ही कर रहे - और खुद ही रो भी रहे .... छिः: रोतले !!!!
Khisiyani billi khanbha noche....
ReplyDeleteमोदी देश के ऐसे अजूबे प्रधानमंत्री हैं जिनसे शायद ही कोई काम छूटा हो। बचपन में उनकी माँ ने बरतन मान्जने का काम किया, खुद मोदी जी स्कूली बच्चों का शु पेोलिश किया करते थे, यदपि ये बाते उनके शुभचिंतक ही कहते आये हैं। बड़े होने पर मोदी जी ने चाय बेचा, अब देश का बागडोर मिलने पर देश बेचने की योजना में लगे हैं। धन्य हैं प्रभु! ये काम सिर्फ आप ही कर सकते हो। नमो नमो !!
ReplyDeletesir aapke posts achche hai, inhe logo tak pahuchaiye, inhe dusri sites aur blogs se link kare isse ye jyada logo tak pahuchega. ye desh ki political chetna badalne ki kuwat rakhta hai.
ReplyDeleteसर आपकी तारीफ के लिए बहुत बहुत धन्यवाद - और मैं आपके सुझाव पर अमल करने का प्रयास भी करूंगा .... साथ ही मैं आपसे भी प्रार्थना करूंगा की यदि आप मुझे ऐसी कुछ अच्छी साइट्स और ब्लॉग्स का लिंक बताएंगे तो मेरे लिए ये काम काफी आसान हो जाएगा .... आशा करता हूँ कि आप मुझे पढ़ते रहेंगे और अपने सुझावों से भी अवगत कराते रहेंगे .... एक बार फिर धन्यवाद !!!!
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