Monday 4 January 2016

// जब घर परिवार का लड़का आवारा टाइप हो जाए तो .... //


एक बहुत पुराना किस्सा याद आ रहा है .... हमारे जान पहचान का एक परिवार - उनका जवान लड़का - साहबज़ादे जरा आवारा टाइप हो चले थे - कुछ मनचले भी - मनमर्ज़ी से घुमन्तु - जो चाहे कहे - जो चाहे करे - स्वाभाविक रूप से माँ बाप और परिवार परेशान ....

एक बार पिताजी ने ज़रूरी काम से बहार भेजा होगा - पर जनाब सुबह के गए रात को ही लौटे - पूछा कहाँ अटक गए थे - बोले एक फ्रेंड का बुलावा आ गया था - उसकी बर्थडे पार्टी थी - सो चला गया - लेट हो गया - अब काहे इतना ऊपर नीचे हो रहे हो ....
माँ बाप भी सुन लिए और चुप - बेचारे कर भी क्या सकते थे ....

पर २-४ दिन बाद ही रात को मकान पर पत्थरों की बौछार हो गई - सारे काँच फोड़ दिए गए - बाहर खड़ी कार का शीशा भी .... चौकीदार भी जख्मी हो गया था - और एक राह चलता भी ....

और मालूम पड़ा कि साहबज़ादे एक लड़की को पटाने के चक्कर में जन्मदिन के बहाने उसके घर चले गए थे - और ये बात उस लड़की के भाइयों को रास नहीं आई - और इसलिए उन्होंने ये तोड़फोड़ कर मारी थी ....

और इसलिए उस घटना के बाद उस परिवार ने उस लड़के के बार-बार घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी थी - और सख्त हिदायत दी थी कि आगे से उस लड़की से कोई संपर्क ना रखे ....

ये घटना मुझे आज क्यों याद आई - आप समझ ही गए होंगे ....

जी हाँ उस बर्थडे बेबी के भाई आये थे - जिसे हमारे साहब बधाई दे के आये थे .... और कर गए सत्यानाश .... बस इसीलिए ध्यान में आया कि साहब पर भी कुछ रोक लगनी चाहिए .... है ना !!!!

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