Monday 25 January 2016

// केजरी को देख बेचारे चिल्लाते रहे .. मोदी-मोदी-मोदी .. पर मोदी पहुंचे नहीं ..//


केजरीवाल फुर्सत में पिक्चर देखने टॉकिज में गए .... बाहर निकले तो कुछ व्यस्त लोग गला ख़राब करने में लगे पड़े थे .... पहले बोले .. मोदी-मोदी-मोदी .... और फिर बोले .. मोदी-मोदी-मोदी .... और बोलते ही रहे .. मोदी-मोदी-मोदी ....

पर मजाल !! .... मोदी वहां नहीं पहुंचे .... शायद २६ जनवरी के कार्यक्रमों और फ्रांस से पधारे अतिथि विषयक व्यस्त होंगे ....

इससे मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि वो सभी चिल्लाऊ लोग केजरीवाल को यह बताना चाहते थे कि हमारे भी एक मोदी हैं जो तुम से तुल्य हैं ....

और मैं यह भी मानता हूँ कि इस देश में हर किसी को अपनी बात और भावनाएं रखने का अधिकार है - और इसी अधिकार के तहत कुछ भाजपाइयों ने भी अपने 'मन की बात' करने का स्वतः ही अधिकार प्राप्त किया हुआ है - और इसलिए उन सभी भाजपाइयों को अपना दुःख व्यक्त करने का और द्विअर्थी नारे लगाने का और मन की भड़ास निकालने का अधिकार प्राप्त है - भले ही वो स्वयं बिलकुल हास्यास्पद तक क्यों न हो जाएं ....

और इसलिए मैं मानता हूँ कि एक काबिल मुख्यमंत्री की तुलना एक तथाकथित काबिल प्रधानमंत्री से करना कदापि गलत नहीं ठहराया जा सकता .... हमें इसे स्वस्थ मन से ही देखना होगा - असहिष्णुता से ऊपर उठकर ही देखना होगा .... हमें यह समझना होगा कि आखिरकार मोदी जी भी हमारे ही हैं - भारतीय ही हैं - कोई नक्सली थोड़े ही हैं - या कोई पाकिस्तानी एजेंट थोड़े ही हैं .... है ना !!

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