Monday 11 January 2016

// "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कैसे कराया जा सकेगा" ?? ....//


पठानकोट पर आतंकी हमले के परिप्रेक्ष्य में हमारे ही देश के मान्य एवं आधिकारिक शपथ गृहित रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कह दिया और हमने सुन लिया कि - "आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत है - जब तक हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास नहीं होता है तब तक इस तरह के हमले नहीं रुकेंगे"

अब मुझे कोई बता दे कि ....

"आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत है" - क्या ये बात नई है अनूठी है नायाब है ??
क्या इसके पहले किसी भी "अक्ल के दिव्यांग" ने कोई ऐसी बात कही थी कि "आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत नहीं है" ??
क्या किसी ने हमें चोट पहुंचाई है ??
क्या कोई हमें बहुत समय से चोट नहीं पहुंचा रहा ??
क्या हमें चोट पहुंचाने वाले की अब तक शिनाख्त नहीं हो पाई है ??
क्या हमें चोट पहुंचाने वाला पाकिस्तान नहीं है ??
क्या हमार देश के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री और गृह मंत्री और प्रधान मंत्री को "पाकिस्तान" का नाम बोलने में भी कष्ट हो चला है या डर लगने लगा है ??
क्या मनोहर पर्रिकर को ये मालूम है कि नहीं कि - "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कैसे कराया जा सकेगा" ??
या फिर सरकार में कोई भी ऐसा एक काबिल नहीं जिसको ये मालूम हो कि - "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कैसे कराया जा सकेगा" ??

क्या "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कराने का कार्य हमारी सेना ही करेगी या "विश्व हिन्दू परिषद या संघ या एमआईएम या जेटली या गडकरी या आजम खान ?? .. या फिर सभी औने पौने से लड़ने भिड़ने को तैयार हमारे प्रिय क्रांतिकारी ज़िंदादिल केजरीवाल तो नहीं ??

और यदि हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कराने का कार्य हमारी सेना को ही करना है तो क्या इस कार्य को अंजाम देने की जिम्मेदारी स्वयं रक्षा मंत्री की नहीं ?? तो क्या हम मान लें कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को कुछ कार्यवाही करने की इज़ाज़त नहीं ?? .. यानि सारी परेशानी कि जड़ कहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही तो नहीं ??

मित्रो - मुद्दे की बात यह है कि जब क्रियान्वयन के जिम्मेदार लोग ही "चाहिए-चाहिए" चिल्लाने लगे - और "जरूरत है - जरूरत है" जैसे जुमले बोलने लगे तो समझ लीजियगा कि दाल में कुछ काला है .... क्या चाहिए और क्या जरूरत है ये तो बच्चा बच्चा जानता है - पर कर्म करने के जवाबदार और जिम्मेदार ही बकवास करने लगे तो फिर क्या कीजियेगा ?? .. मैं तो शायद लिख ही सकता हूँ सो दुखी मन से लिख रहा हूँ - और आपने पढ़ लिया इसलिए .. !! धन्यवाद !!

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