Tuesday 19 January 2016

मेरे हँसने-हँसाने वाले दोस्त "गॉडसिंह" को मेरी रोते हुए श्रद्धांजलि ....

मित्रो !! मेरे सबसे प्यारे सच्चे दोस्त - हँसने-हँसाने में माहिर - हमारे सबके प्रिय - श्री भगवान सिंह सिसोदिया - जिन्हें हम सब "गॉडसिंह" के नाम से ही पुकारते थे - वो मकर संक्रांति १४ जनवरी को हमेंं रोता छोड़ इस दुनिया से बस यूँ ही मज़ाक-मज़ाक में चलते बने .... शायद उनके विराट ह्रदय में अकारण दिल ने धड़कने से मना कर दिया .... और बस ....

उस यारबाज़ के ढेरों यार दोस्त और उनको चाहने जानने वाले असंख्य उनकी हँसने की आदत और उनके हँसाने के कौशल को - तथा उनके चुटुकुले उनकी अनूठी हरकतों उनकी हाज़िर जवाबी उनके व्यंग्य उनकी अदा उनकी सहजता उनकी दोस्ती और उनसे जुड़े अनेक किस्सों को सदैव याद करते रहेंगे .... पर उनके उस नायाब हँसने-हँसाने वाले पहलू का यहाँ वर्णन करना संभव ही नहीं है ....

पर हाँ - उस हँसी के बादशाह को श्रद्धांजलि स्वरुप उनके ही द्वारा मान्य कुछ मर्म और सारगर्भित बातें आप से साँझा करना चाहूँगा ....

हमारे "गॉडसिंह" कहते थे ....

हमारे समाज की दुर्दशा देखिये - गरीब अपनी झोंपड़ी में खुश है - ये अफवाह अमीरों द्वारा ही उड़ाई हुई है .... और धड़ल्ले से चल भी रही है !!

हमारे स्वार्थ की पराकाष्ठा देखिये - भीड़ से हमें परहेज़ हो चला है - जबकि अकेले में हमें डर लगता है !!

....

और मित्रो !! विडम्बना देखिये कि मैं मेरे हँसने-हँसाने वाले दोस्त को हँसते हुए श्रद्धांजलि भी नहीं दे पा रहा हूँ .... क्योंकि मैं आज रोने के लिए मजबूर हूँ ....

मेरी प्रार्थना है और मुझे पूरा भरोसा है कि भगवान निश्चित ही हमारे "गॉडसिंह" को स्वर्ग में भी हँसने-हँसाने का सबसे कठिन काम ही सौंपेंगे .... और हमें और पूरे परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने का साहस प्रदान करेंगे ....

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