Saturday 9 January 2016

// 'अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ' के मार्फ़त सुब्रमण्यम स्वामी वित्तमंत्री ?? ..//


'अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ' .. क्या कभी पहले ऐसा नाम सुना था ?? .. मैनें तो नहीं !!

पर आज ये नाम सुना गया - क्यों ?? .. क्योंकि इसी संस्थान के तत्वावधान में दिल्ली यूनिवर्सिटी में राम मंदिर के विषयक एक सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है ....

और शैक्षणिक संस्था में एक राजनीतिक और धार्मिक विषयक इस सेमीनार में वो ही वक्ता शिरकत करेंगे जो राम मंदिर निर्माण के समर्थन में हैं .... और ये भी कहा जा रहा है कि इस सेमीनार में सभी वक्ता "प्रबुद्ध" होंगे .... और इन प्रबुद्धों के अलावा एक सुब्रमण्यम स्वामी भी होंगे .... बल्कि वो तो बिल्कुल अलग 'मुख्य वक्ता" होंगे .... 

अब ज़रा सोचें की किस-किस की आड़ में क्या-क्या किया जा रहा है .... साम्प्रदायिकता का ज़हर कैसे फैलाए जाने का प्रयास किया जा रहा है .... धर्म और राजनीति का क्या कमाल का घालमेल किया जा रहा है .... धर्म को कीचड बना राजनीति का कमल खिलाया जा रहा है .... और देश की न्यायपालिका के महत्व को भी कैसे धता बताई जा रही है ....

और इसलिए ही मैं सोच रहा था कि वो व्यक्ति जो न्यायपालिका में विश्वास नहीं रखता हो और धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति को हवा देता हो क्या वो "प्रबुद्ध" हो सकता है ?? .... नहीं !! .. मेरे मतानुसार तो वे सब "बुद्दू" हैं - और इन सबको बुद्धू बना रहा है भाजपा का सबसे शाना तेज चालाक खतरनाक नेता "सुपरमनियम स्वामी" ....

और मेरी समझ अनुसार ये स्वामी ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि वो मोदी के विरोध में है .... और जैसे कीर्ति आज़ाद जेटली के मज़े ले रहे हैं - और स्वामी आज़ाद के साथ खड़े हैं - और आडवाणी यशवंत मुरली मनोहर के आशीर्वाद से शत्रु मोदी के मज़े लेते रहे हैं - वैसे ही स्वामी भी मोदी के मज़े ले रहे हैं .... कारण ?? .. स्वामी ने अपनी पार्टी जनता पार्टी का ही विलय भाजपा में कर दिया था - और कुछ आश्वासन प्राप्त किया ही होगा - पर जीतने के बाद मोदी वो आश्वासन पूरा नहीं कर पाएं हैं .... हारे हुए कई लोगों को तो मंत्री बना दिए पर स्वामी को नहीं - मसलन हारे हुए जेटली को "मलाईदार" वित्तमंत्रालय दे दिया और अर्थशास्त्री स्वामी को "बाबाजी का ठुल्लू" ....

और चूँकि भाजपा में ऐसे और भी कई असंतुष्ट नगीने हैं - और संघ विहिप आदि में भी कई रामभक्त हैं जो राम के नाम पर जान देने के अलावा कुछ भी कर सकते हैं - यानि चंदा लेने से लेकर दंगा फसाद सब - इसलिए इस सेमीनार के बहुत दूरगामी परिणाम निकल सकते हैं ....

जैसे कि डीडीसीए मामले में फंस चुके जेटली की जगह राम कृपा से स्वामी वित्तमंत्री बनाए जा सकते हैं .... या फिर स्वामी अगला प्रधानमंत्री बनने का प्रयास तो कर ही सकते हैं .... जब एक चाय बेचनेवाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो एक चतुर अर्थशास्त्री क्यों नहीं ?? .... हा !! हा !! हा !!

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