Friday 1 January 2016

// ये खाते पीते भुक्कड़ तो टुच्चे निकले ....//


नववर्ष में एक समाचार आया जिससे लगा की किसी ने अपना 'कॉलर' ऊँचा किया - गर्व से कुछ अच्छा निर्णय किया है ....

समाचार था - संसद की कैंटीन में सब्सिडी खत्म .... लगा चलो माननीय सांसदों ने कुछ तो अच्छा किया - बेशर्मी का उढ़ा कम्बल आखिर देर से ही सही उतारा तो सही ....

पर जब समाचार को गौर से देखा तो मालूम पड़ा कि संसद कैंटीन में जो भोजन थाली पहले १८ रुपये में मिलती थी वो अब ३० रुपये में मिलेगी ....

और मुझे महसूस हुआ - ये करोड़पति सांसद मात्र १२ रूपये या ज़्यादा से ज़्यादा ५०-१०० रुपये जैसी तुच्छ राशि के लिए इतने दिनों बेशर्मी का कम्बल ओढ़े रहे - छिः !!!!

और इसलिए मुझे बड़ा दुःख हुआ कि इस देश में सांसद होने जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त लोग तक "खाते पीते भुक्कड़" निकले .... यानि ये तो गज़ब टुच्चई हो गई भाई .... 

और मैनें यह भी अनुभव किया कि यह निर्णय भी इन सांसदों द्वारा स्वतः और सहजता से नहीं लिया है - बल्कि जनता द्वारा सतत दबाव बनाने के चलते और असहिष्णुता अनुभव कर तथा अपशब्द सुन-सुन कर ही किया है ....

इसलिए मित्रो नए साल में हमें सोचना होगा और प्रयास करना होगा और दबाव बनाना ही होगा कि इस देश के हर गरीब को ३० रुपये में भरपेट खाना प्राप्त हो सके - और हर गरीब कम से कम इतना कमा सके कि वो अपने और अपने परिवार का ना केवल पेट भर सके पर कुछ बचत कर अपने बेहतर भविष्य की कल्पना और प्रयास भी कर सके ....

नववर्ष में ऐसी कामना करते हुए - !! धन्यवाद !!

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