मुफ़्ती मोहम्मद सईद नहीं रहे .... वो जम्मू-कश्मीर और देश पर मर मिटे .... जम्मू-कश्मीर और देश की अपूरणीय क्षति हो गई .... पूरे देश में सियासत करने वाले यही बता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं .... ४ दिन का शोक घोषित हो गया है - मृत्यु उपरान्त उनकी बेटी मेहबूबा 'खुद' एम्स अस्पताल पहुंच गई हैं और प्रधानमंत्री मोदी 'खुद' एयरपोर्ट पहुंचेंगे .... शायद उन्हें कल या परसों उनके गृहनगर में सुपुर्दे खाक किया जाएगा ....
और सूत्रों के हवाले से मीडिया ने तत्काल बताना शुरू कर दिया है कि मुफ़्ती 'खुद' चाहते थे कि उनकी विरासत 'खुद' उनकी बेटी मेहबूबा संभाले .... और मेहबूबा का जम्मू-कश्मीर का अगला मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है - ४ दिन बाद ही उनको शपथ दिला दी जाएगी - और वो 'खुद' शपथ ले लेंगी ....
और इस दुःख की घडी में मैं सोच रहा हूँ - कि मुफ़्ती साहब की "विरासत" क्या थी ?? ....
और ये भी सोच रहा हूँ कि - ये "विरासत" क्या होती है ??
क्या इसकी परिभाषा कांग्रेस और भाजपा के लिए कुछ अलग होती है ??
क्या लालू की भी कोई विरासत है या नहीं ??
या फिर ये विरासत मृत्यु उपरान्त ही यकायक उपजती है ??
क्या राजीव ने भी अपनी माताजी की विरासत नहीं संभाली थी ??
क्या सोनिया ने अपने पति की विरासत नहीं संभालनी चाहिए थी ??
क्या हमें विरासत में ये "विरासत" मिली है कि सभी सियासत करने वाले मौका परस्त निम्न लोग हैं जिनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है - पर इन सबकी निम्न सोच एक जैसी निम्न ही बनी हुई है ....
.... "विरासत-दर-विरासत" .... निम्न और निम्नतर ....
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