Monday 2 May 2016

// इसमें धर्म कहाँ ?? .. इसमें धार्मिक क्या ?? ....//


व्यापम वाले शिवराज वाले मध्यप्रदेश की महाकाल की पावन नगरी उज्जैन में - पवित्र क्षिप्रा नदी के तटों के बीच - प्राकृतिक तल पर - एक कृत्रिम स्वीमिंग पूल जैसे जल भंडारण के स्नानयोग्य शुद्ध पानी में - ना ना प्रकार के अनवरत "स्नानों" के बीच - आस्था और श्रद्धा का सिंहस्थ चल रहा है .... स्नान चल रहा है ....

इस बीच इन्हीं तटों से लगी प्राकृतिक सूखी भूमि पर कई 'अखाड़े' भी लगे हैं और कई प्रकार के 'जमावड़े' भी - और कई लोग यहां जमे हैं और कई आ जा रहे हैं - मेले जैसा ही माहौल है - धर्म के तड़के के साथ ....

और इन्हीं क्षेत्रों से समाचार आते रहते हैं कि .. फलां एक टांग पर खड़ा है - फलां गर्म रेत में स्नान कर रहा है - फलां भूमिगत हो जाता है - फलां सालों से भूखा है - फलां कंघी नहीं करता है - फलां राख का श्रृंगार करता है - फलां नंगा रहता है - फलां फलां फलां कार में चलता है - फलां की जटाएं इतनी लम्बी - फलां की मूछें इतनी लम्बी - फलां की कार इतनी लम्बी - फलां की पहुँच इतनी लम्बी .. और फलां का आश्रम इतने एकड़ में - फलां के अनुयायी करोड़ों में - फलां के विदेशी पट्ठे भी आये - फलां के देशी पट्ठे गर्राए - फलां हठ कर रहा - फल रूठ गया - फलां कुपित हो गया - और फलां गिरफ्तार .. फलां चोर निकला - फलां साधो नहीं निकला - फलां टुच्चा निकला - और फलां के यहाँ चोरी का माल निकला .. और फलां नहा के पवित्र हो निकला ..... आदि !! आदि !! ....

और मुझे ये सब समझ आ रहा है .. पर मुझे ये नहीं समझ आ रहा है कि इस सबके बीच "धर्म" कहाँ हैं ?? .. इसमें "धार्मिक" क्या है ?? .. और इसमें कौन सी "धार्मिक शिक्षा" समझ पड़ रही है या छुपी है ?? .... और इन सब पर करोड़ों अरबों रुपये किसके खर्च हो रहे हैं ?? .. और खर्चा मेरे पैसों से चलने वाली अधार्मिक सरकार क्यूँ कर रही है ?? .. क्या इसमें भी कोई "विकास" हो रहा है ?? .. किसी आमजन गरीब का भला हो रहा है ?? ..

कोई बताएगा ?? .. कोई सोचेगा ?? ....

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1 comment:

  1. मैं पिछले 3 दिन से सिंहस्थ में घूम रहा हु ..कुछ विशेषताएं आप भी सुन लीजिए...


    मैं १०-१२ अखाड़ों के पंडालों में घुमा स्वामी ादगनन्दजी , स्वामी अवधेशानंदजी , रमेश ओझाजी , वैष्णो संप्रदाय, जेसे कई संत एवं कथावाचक लोगो के पंडालों में लोगो का  हुजूम है..

    यहाँ लोग लंगरों में खाना खा रहे है ...लंगरों में खाना निशुल्क है ,
    पंडालों में थके हारे लोग सो रहे है जो निशुल्क है...
    सामाजिक समरसता की बहार है..

    पंचकोसी यात्रा करने वाले २००००००(बीस लाख से अधिक ) लोग पैदल यात्रा करते हुए उज्जैन पहुंच चुके है...
    शनिवार तक यह आंकड़ा ५०००००० (पचास लाख) तक पहुंच जायेगा...

    पंचकोसी याने उज्जैन ka पच्चीस किलोमीटर का पैदल सफर....

    इसके अलावा २०००००० (बीस लाख) सामान्य यात्री भी आने की उम्मीद है....


    पुरे उज्जैन में सामाजिक संस्थानों ने जगह जगह प्याऊ और चाय नाश्ते , जूस की व्यवस्था निशुल्क कर रखी है..

    मुस्लिम समाज भी उदारता से हर जगह यात्रियों का इस्तकबाल करता हुआ नज़र आ रहा है...

    समाज ने शहर में बड़े बड़े फ्लेक्स और कट आउट लगा रखे है..

    जगह जगह निशुल्क पानी और चाय के पंडाल हे..महाकाल मंदिर के पास ही मुस्लिम कल्चर को समझने पंडाल लगे है..
    जो अपने आप में ख़ास और हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतिक है...


    उज्जैन " जय महाकाल " के उदघोष से गूंज रहा हे 

    कोई VIP या VVIP नहीं है....लम्बी लम्बी कतारे  है ..हर जगह जय महाकाल है....

    रहना..खाना पीना इसके लिए इतनी बड़ी निशुल्क व्यवस्था आपको दुनिया में कही देखने को नहीं मिलेगी...

    उच-नीच अगड़ा - पिछड़ा किसी को कोई जगह नहीं है...

    धर्म को समझने और जानने उज्जैन के सिंहस्थ मेला जरूर पधारे..

    जो आपको बता रहा हु वह आँखो देखा हाल है..

    Baaki आप जो न्यूज़पेपर , न्यूज़ में जो आसहिष्णुता , ये बाबा फलाना ढिकाना बाबा ,अव्यवस्था नाटक नौटंकी और मिर्ची वाली तडकेदार ख़बरें पढ़ और देख रहे है उसकी दुनिया ही अलग है....और रोने वाले रोते ही रहेंगे...

         उन्हें न्यूज़ बेचना है ..यह ठीक उसी तरह है जेसे विदेशी भारत में आकर गरीब बस्तियों के बच्चों केे फोटो खींच खींच कर पुरे देश को भूखा इंडिया ,गंदा इंडिया, नंगा इंडिया दिखाते है..

    धर्म आस्था है....और सिंहस्थ आस्था का पर्व है...

    जय श्री महाकाल 


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