महान लोगों की जीवित जीवनी - इतिहास - और सम्पूर्ण राजनीति से सबक ले मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि - भले ही आप रोते धोते - लुढ़कते घिसटते - टीपते टीपते - छुपते छुपाते - फेलते पासते ही सही - स्नातक डिग्री असली या फर्जी जुगाड़ या कबाड़ लिए हों - तो लगे हाथ इसके बाद आप आवश्यक रूप से स्नातकोत्तर डिग्री की जुगाड़ भी कर ही लें ....
क्या है अच्छा लगता होगा - आत्मा को शांती मिलती होगी .... ठीक वैसे ही जैसे आपाधापी से युक्त सम्पूर्ण जीवन के बाद मिली मृत्यु उपरांत तेरहवीं करने से आत्मा को शांती मिलती होगी ....
ॐ शांति ॐ .. अब 'आप' शांत हो जाइये .... और 'आप' भी बोलिए .. ॐ नमो नमाय: .. सरस्वती माता की जय !! .. देसी माता की जय .. विदेशी माता की जय .. और ईरानी माता की भी जय ???? ....
पुनश्च: मेरे उपरोक्त लेख में एक पुरानी कहावत - "सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली" घुसेड़ने की कोशिश ना करें - और करें भी तो कोई गलत नहीं ....
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