Friday 6 May 2016

// मोदी के मूर्खतापूर्ण निर्णय स्वयं के - या सलाहकार अक्ल से पैदल ?? ..//


उत्तराखंड का मामला - या यूँ कहें झमेला .... मोदी के सीधे हस्तक्षेप से भाजपा ने कर दिया था बकवास का कमाल - कांग्रेस मुक्त अभियान के तहत लगा दिया था राष्ट्रपति शासन ....

फिर बहुत कुछ प्रत्याशित हुआ ....

मामला कोर्ट में जाना था - और गया .... 
भाजपा की मिट्टी पलीत होनी थी - हुई ....
हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को असंवैधानिक निर्णीत करना था - सो कर दिया ....
हाईकोर्ट ने नज़ीर के रूप में बोम्मई केस के अनुरूप "फ्लोर टेस्ट" हेतु निर्णय करना था - सो कर दिया ....
बौखलाई बेशर्म दम्भी भाजपा को सुप्रीम कोर्ट जाना था - सो गई ....
भजपा को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के "फ्लोर टेस्ट" को चुनौती देना थी - सो उसने चुनौती दे मारी ....

तो ये तो हुआ प्रत्याशित .. पर सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया कुछ अप्रत्याशित ....
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा से पूछ लिया - "फ्लोर टेस्ट" क्यों नहीं ?? .. जवाब दो !!

और शायद इतिहास में ऐसा वाक़या कभी ना हुआ होगा कि चुनौती देने वाली पार्टी ही ऐसे मिमिया के स्वयं के द्वारा चुनौती दिए गए बिंदु से ही किनारा कर ले .... यानि थूक के चाट ले .... क्योंकि फिर प्रश्न तो उठेगा कि फिर चुनौती ही क्यों दी थी ????

लेकिन उत्तराखंड प्रकरण में ऐसा दयनीय और हास्यास्पद घट गया है - क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के प्रश्न से ही मोदी सरकार की मिद्द निकल गई और उसने "फ्लोर टेस्ट" हेतु सीधे सीधे स्वीकृति दे मारी .... और इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट ने एकतरफा निर्णय दे दिया है जिसके अनुसार मंगलवार १० तारीख को "फ्लोर टेस्ट" होगा .... बड़े आराम से ....

तो अब "फ्लोर टेस्ट में क्या होता है आप देखते रहिएगा .. पर मेरे लिए तो अब केवल इतना देखना और जानना बचा है कि ये मोदी स्वयं सारे मूर्खतापूर्ण निर्णय लेते हैं .. या .. मोदी के राजनीतिक सलाहकार मूर्ख हैं .. या फिर .. मोदी के कानूनी सलाहकार अक्ल के पैदल हैं ????

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