Thursday 12 May 2016

// तृप्ति उवाच - देवियों के मंदिरों में पुरुष पुजारियों का क्या काम ?? ....//


तृप्ति देसाई - एक ऐसी उभरती प्रतिभा जिसका मैं तो कायल होता जा रहा हूँ .... कारण वो समाज के सभी ताकतवर ठेकेदारों से अकेले लड़ने का साहस दिखा रही हैं - और लड़ते हुए भी तार्किक कृत्य करते हुए सफलता भी पा रही हैं - और समाज हित में असामाजिक तत्वों की धुलाई भी ....

यहां असामाजिक तत्वों से मेरा अभिप्राय उन ताकतवर ठेकेदारों से है जो सामाजिक कुरीतियों को स्वहित में जारी रखने पर तुले हैं .... और ऐसी ही कुरीती जो वर्षों से चलती आई है वो है - पुरषों की दादागिरी - विशेषकर धार्मिक क्रियाकलापों में ....

पर तृप्ति देसाई ने कई मामलों में संविधान का हवाला देते हुए और तर्क प्रस्तुत करते हुए और क्रांतिकारी विरोध करते हुए पुरुषों के एकाधिकार को चुनौती दे मारी और ऐतिहासिक जीत दर्ज करी .... महिलाओं को योग्य उचित अधिकार दिला कर ही मानीं .... और उनकी लड़ाई जारी है ....

पर आज जो विषय उन्होंने छेड़ा है उसमें तो मुझे मज़ा ही आ गया - मज़ा इसलिए कि मुझे हर तार्किक मामले में बहुत मज़ा आता है ....

और ये नया नायाब विषय है कि देवियों के मंदिर में देवियों के स्नान या वस्त्र बदलने के लिए पुरुष पुजारी क्यों - महिला पुजारी क्यों नहीं ????

और मेरा दावा है कि इस बार भी तृप्ति देसाई देवी के मंदिरों से पुरुषों की छुट्टी करवा कर ही मानेंगी ....

मैं तो इस लड़ाई में निडर क्रांतिकारी तृप्ति देसाई के साथ खड़ा हूँ .. और आप ????

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