Friday 13 May 2016

// व्यापम : क्या दोषी नेता अधिकारी अस्पतालों में झाड़ू पोता लगाएंगे ?? ..//


कुछ अनपढ़ लोगों को भ्रष्टाचार दिखता ही नहीं है .... और ऐसे लोग जब कभी विचार भी करते हैं तो मुहूर्त देख कर .. मसलन वैचारिक कुम्भ में पहुँच कर - कि आओ अब विचार करें ....

पर जो पढ़ते हैं उनको भ्रष्टाचार साफ़ समझ आ जाता है - और बिन मुहूर्त उनका विचार विमर्श भी स्वतः ही शुरू हो जाता है ....

और आज भी मैंने व्यापम संबंधित एक विचार मंथन योग्य समाचार पढ़ा - और मेरा विचार विमर्श स्वतः ही शुरू हो गया - बिना कोई डुबकी लगाए - बिना कोई साधु के आशीर्वाद के - बिना किसी मंदिर का घंटा बजाए ....

और व्यापम का वो समाचार है कि -  पूर्व में ६४३ छात्रों को व्यापम के माध्यम से मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दे दिया गया था - उन्होंने पढाई भी पूरी कर ली - पर बाद में जब भांडा फूटा तो मालुम हुआ कि उन्होंने सामूहिक नक़ल करी थी .... और अब मामला आ फँसा कि उन ६४३ छात्रों का क्या किया जाए - या क्या सजा दी जाए ....

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने गुरुवार को अलग-अलग फैसले सुनाए .... 
एक ने कहा - सभी ६४३ छात्र पांच साल तक बिना वेतन सेना के अस्पतालों में सेवा दें ....
दूसरे ने कहा - गलत मतलब गलत - सभी छात्रों का प्रवेश और डिग्री निरस्त की जाए ....

मेरी प्रवृत्ति तो यही कहती है कि दोषी छात्रों के साथ बिना कोई रियायत बरते उनका प्रवेश और उनकी डिग्री निरस्त ही होनी चाहिए .. पर मेरे विचार में क्योंकि ये पूरा प्रकरण एक "व्यवस्था के दोष" का भी है इसलिए केवल छात्रों को ही सज़ा देना न्यायसंगत नहीं होगा ....

इसलिए मेरे विचार में तो उस भ्रष्ट व्यवस्था में लिप्त मंत्री नेता और अधिकारीयों को और कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए .... जैसे उन्हें १० साल तक विभिन्न अस्पतालों में झाड़ू पोता लगाने नालियाँ साफ़ करने जैसे मोदी के स्वच्छता अभियान से जुड़े सभी आवश्यक दैनिक कार्य  करने की सामाजिक सजा दी जाए तो ही पूर्ण न्याय होगा ....

विचार करें गोल टोपी पहने - सफ़ेद पोश - केसरिया और तिरंगा पट्टे वाले पट्ठे - सफारी सूट पहने अधिकारी - और ऐशो आराम ज़िन्दगी जीने के हक़ को हथियाने वाले शातिर जब अस्पतालों में झाड़ू पोता लगाते दिखेंगे तो समाज में क्या संदेश जाएगा ??

संदेश जाएगा कि - ये "सफाई" का कार्य कितना आवश्यक था .... है ना !!

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