Tuesday 3 May 2016

// "अवार्ड वापसी ब्रिगेड" के नए 'सरगना श्री' - मोदी केजरी के खासमखास ?? ..//


"अवार्ड वापसी ब्रिगेड" - जी हाँ मोदी सरकार की उचित निंदा करने हेतु अपने अवार्ड वापसी की पेशकश करने वाले मुनव्वर राणा जैसे अनेक ख्यातिप्राप्त लोगों को खेर जैसे भक्त इसी नामकरण से कोसते हुए कलपते विलापते रहे हैं ....

पर इस "ब्रिगेड" का सरगना कौन ?? .. अभी तक कहना मुश्किल था .... पर हाँ यह तय था कि वो "साहब विरोधी" ही हो सकता था - "साहब समर्थक" कदापि नहीं ....

पर समय का फेर देखिये .... "साहब समर्थक" और साहब का खासमखास ही आज "अवार्ड वापसी ब्रिगेड" का सरगना स्थापित हो गया है ....

जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ दो-दो बार श्री से प्रयुक्त श्री श्री रविशंकर की - जिन्होंने आज दावा ठोंक दिया है कि उन्हें तो सम्मानों में उच्चतम सम्मान 'शांति का नोबेल' मिलने की पेशकश हुई थी - पर उन्होंने उसे ठुकरा दिया .... वैसे तो बाबा रामदेव भी सम्मान ठुकरा चुके हैं - पर वह पुरूस्कार तुच्छ सा "पद्म" पुरूस्कार था - शांति का नोबेल नहीं .... इसलिए 'सरगना श्री' होने का हक़ तो अब श्री श्री को ही जाएगा - बाबा जी को बाबाजी का ठुल्लू ....

वैसे मैं सोच रहा था कि ये श्री श्री में एक और खासियत है और वो यह कि - राजनीति के दो धुर विरोधी इनको तोकते पाए गए हैं .... और वो दो धुर विरोधी हैं मोदी और धुरंधर केजरीवाल .. जिन्होंने श्री श्री के उस जमुना किनारे के आयोजन का समर्थन किया था जो सर्वथा विवादित रहा और मेरे मतानुसार शर्मनाक भी ....

वैसे मोदी का ऐसा शगल तो सामान्य बात है .. पर केजरीवाल भी ऐसी गलती करें थोड़ा अचम्भा होता है और थोड़ी निराशा भी .... पर साथ ही मुझे आशा भी है कि कम से कम केजरीवाल अपनी इस गलती को समझेंगे और श्री श्री का विरोध करते हुए उन पर लगे उस ५ करोड़ के जुर्माने और किसानों तथा जमुना तट को हुए नुकसान की भरपाई के लिए आवाज़ उठाएंगे .... और केजरी से आशा इसलिए कि वो अपनी गलतियों को जल्दी ही महसूस करते आए हैं और फिर ससमय "डैमेज कंट्रोल" भी ....

पर मोदी से आशा इसलिए नहीं कि उन्हें अपने अपार दंभ और सीमित अक्ल के कारण अपनी गलतियों का एहसास तक नहीं होता है .. और इसलिए ही तो वे जेटली ईरानी वीके सिंह गडकरी रामदेव स्वामी शाह जैसे व्यक्तियों को और पाक उकसित पीडीपी तथा ड्रग ग्रसित अकाली दल जैसी पार्टियों को तोकते ही जा रहे हैं .... और धर्मनिरपेक्षता और विकास की लुभावनी बातें कहते हुए साम्प्रदायिकता से ग्रसित जहरीली बातों पर अंकुश तक नहीं लगा पा रहे हैं .... बेचारे मोदी !!

और इस सबके बीच मुझे एक और बात का मलाल है .... और वो ये कि श्री श्री को मलाला युसुफ़ज़ई को मिले नोबेल पुरूस्कार से भी मिर्ची लगी हुई है .. और उन्होंने इसकी आलोचना कर मुझे भी उनकी उन्मुक्त आलोचना करने का अधिकार दे दिया है .... इसलिए ये लेख श्री श्री को ही समर्पित !!

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