Tuesday 13 September 2016

// राज्यपाल बेइज़्ज़त - उपराज्पाल की फजीहत .. अन्ना को सलाह ....//


प्रारम्भिक उद्घोषणा : -  मैं दिल का साफ़ व्यक्ति - इसलिए शुरू में ही काँच माफ़िक़ साफ़ करना चाहूँगा कि मेरे इस लेख का माननीय भक्तों के साहब से - माननीय अरुणाचल के भूतपूर्व राज्यपाल राजखोवा से - और माननीय दिल्ली के अभूतपूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग से  - अप्रत्यक्ष रूप से कोई लेना देना नहीं है - एवं मेरा ये लेख काल्पनिक है .. पर हाँ लेख में ठूंसे गए अंतिम दो पात्र काल्पनिक नहीं हैं .... इसलिए बिंदास पढ़ें और लेख के सार की कल्पना ज़रूर करें ....

माननीय राजखाउ इधर आ .... आया साहब .... उठ .. उठ गया .... बैठ जा .. बैठ गया .... जैसा कहा है वैसा करते जाना .. जी साहब !! .... 

सुन बे - जैसा बोला वैसा लिख ला .. ओके .... ठीक - गुड - साइन कर दे .. ये लो साहब !! ....
अरे माननीय इधर आ तो .. यहाँ अंगूठा लगा तो .. ये लो साहब !! ....

सब ठीक हो गया .. बढ़िया हो गया .. धन्यवाद माननीय !! .... अरे साहब - आप भी ना !! .....

पर अन्य माननीय ने आदेश दे दिया .... माननीय आपने ये जो किया सब गलत - सब असंवैधानिक - सब गुड़गोबर - इसलिए आपके किये पर पानी फेरा जाता है ....

साहब कुंठित !! .... माननीय सन्न !! ....

अबे माननीय - इधर आ तो .. क्यों रे - ये क्या किया ?? .... साहब जो आपने कहा वो किया .... जबान लड़ाता है .. चल निकल तो यहाँ से .... कहाँ से ?? .... अबे पतली गली से निकल ले बे .... 

नहीं निकलता जा .... तो धक्के मार कर बेइज़्ज़त करके निकाल दूंगा .... निकाल दे जा !! ....

और उसे निकाल दिया गया  .... इस तरह एक माननीय माने जा रहे राज्यपाल को बेइज़्ज़त कर दिया गया .... 

और साहब के राज्य में एक अजीब उपराज्यपाल भी तो है ....

इधर आ - उठ - बैठ जा - जैसा कहा है वैसा करता जा - सुन जैसा बोला वैसा लिख ला - साइन कर - इधर अंगूठा लगा .. यहां तक तो सब ठीक था .... पर .......... अबे इधर आ - उस शरीफ को कौन पकड़वाएगा - और उस गुंडे को कौन छुड़वाएगा ?? .... ये सड़कों पर से कचरा कौन उठवाएगा ?? .... ये जल भराव क्यों हुआ ?? .. कुछ करता क्यूँ नहीं ?? .. ये नालियां कौन साफ़ कराएगा ?? ....

जी साहब मैं सब कुछ करवाता हूँ ....

और इस तरह एक उपराज्यपाल की फजीहत जारी है ....

अपरोक्त काल्पनिक यथास्थिति के परिप्रेक्ष्य में मेरी एक और माननीय बुज़ुर्ग अन्ना जी को नेक मुफ्त सलाह ....

अन्ना जी !! .. आपने कहा था कि अपमान सहने की क्षमता बहुत जरूरी है .. और मैंने देखा भी है कि आपकी कितनी ही बेइज़्ज़ती की जाए - आप विचलित नहीं होते हो .... इसलिए मेरा सुझाव है कि आपको जब भी साहब का ऑफर आए तो आप कहीं के भी राज्यपाल का पद तो स्वीकार्य कर लेना - पर उपराज्यपाल का नहीं .... क्योंकि आपको बेइज़्ज़ती तो रास आ जाएगी .. पर आपसे इस बुढ़ापे में फ़ज़ीहत सहन करते नहीं बनेगी - और मुझे भी अच्छा- बुरा नहीं लगेगा .... इस फ़ज़ीहत के लिए तो आपकी पुड्डुचेरी भेजी गई अनुशासित शिष्या किरण ही उपयुक्त थी ....

अन्ना !! आशा करता हूँ आप मेरी सलाह को अन्यथा नहीं लेंगे - और राज्यपाल बनने के बाद किसी भी स्थिति में किसी भी "पक्ष-पार्टी" से दूर रहकर राज्यपाल के पद की गरिमा को बनाए रखेंगे .... आपका धन्यवाद स्वीकारते हुए - !! जय हिन्द !!

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