Friday 23 September 2016

// केजरीवाल अच्छे चुन नहीं पाते .. और बाकी टुच्चे लुच्चे छोड़ नहीं पाते ....//


जब से केजरीवाल ने 'आप' पार्टी बनाई थी .. तब से ही उन पर ना ना प्रकार के आरोप लगते रहे हैं .. और केजरीवाल सभी आरोपों को धता बताकर उनको दरकिनार करते हुए सफलता के साथ आगे बढ़ते रहे हैं ....

और अभी लेटेस्ट संगीन आरोप है .. केजरीवाल आप पार्टी में सही लोगों का चयन नहीं कर सके हैं - पारदर्शिता से काम नहीं करते - और केवल अपनी मनमर्ज़ी से निर्णय लेते हैं ....

अब केजरीवाल यदि मनमर्ज़ी से निर्णय लेते हैं तो ये बात तो सही है पर आरोप लगाने वाले मक्कार हैं - क्योंकि केजरीवाल ठीक ही तो करते हैं जो बेवकूफों की मर्ज़ी से कुछ भी नहीं करते .... इसलिए मैं इसे आरोप नहीं तारीफ मानता हूँ ....

और यदि केजरीवाल पारदर्शिता से काम नहीं करते तो भी मैं सोचता हूँ कि वे अक्लमंद हैं जो धूर्त झूठे मक्कार विरोधियों को और बिके निर्लज्ज मीडिया और बेवकूफ भक्तों को कुछ भी अता-पता नहीं लगने देते कि आखिर वो कर क्या रहे हैं - और क्या करने वाले हैं .... यानि ये भी आरोप नहीं बल्कि भूरी-भूरी राजनीतिक प्रशंसा ही हुई ....

अब आ जाएं इस आरोप पर कि केजरीवाल सही व्यक्तियों का चयन नहीं कर सके .... इस बाबद मेरी प्रतिक्रिया यह है कि - भाजपा कांग्रेस सपा राजद बसपा जदयू अकाली शिवसेना तृणमूल एआईएडीएमके सीपीएम आदि अन्य मुख्य पार्टियों में तो चयन का मापदंड ही ये है कि गलत व्यक्तियों को ही तो चुना जाता है .... इसलिए गलती से कोई एक आध सही निकल जाए तो वल्लाह !! और यदि केजरीवाल का एक आध गलत निकल जाए तो ?? .... तो स्याप्पा !! .....

पर यदि मैं ये मान भी लूँ कि केजरीवाल सभी सही व्यक्तियों का चयन नहीं कर पाए तो भी मैं सोचता हूँ कि ये कहना कितना आसान है और करना कितना मुश्किल .... ठीक वैसे ही जैसे मोदी ने राज्यसभा के लिए चुना भी तो किसको ?? .. सिद्धू को ?? .... हा ! हा !! हा !!! ....

और क्या आज पूरे देश में एक भी सांसद या विधायक लाल बहादुर शास्त्री के समतुल्य माना जा सकता है - या फिर कहा ही जा सकता है ?? .... है कोई माई का लाल - लाल बहादुर ?? ....

यानि यदि केजरीवाल अच्छे चुन नहीं पाते .. तो और बाकी टुच्चे लुच्चे छोड़ नहीं पाते .... है ना !! 

और स्मरण हो कि जब योगेंद्र यादव और भूषण को केजरीवाल ने ऐसे ही आरोप लगाने के षड़यंत्र करने के कारण पार्टी से बाहर निकाल फेंका था .. तो मैं इस बात पर बहुत खुश हुआ था कि चलो ये दोनों नई पार्टी बनाएँगे और अपनी औकात की पोल खुद खोलेंगे .... पर दोनों की फूँक निकल चुकी है और पार्टी बनाना तो दूर ये एक चाय पार्टी भी आयोजित करने की औकात खो बैठे हैं ....

और अभी एक बार फिर मेरी आशा माननीय सिद्धू जी से हुई कि चलो ये नई पार्टी बनाएंगे और तब लोगों को पता चलेगा कि पार्टी चलाना और सही लोगों का चयन करना कितना दुष्कर है .... पर सिद्धू भी ज्यादा बेवकूफ नहीं निकले और ना केवल जल्द ही थूका हुआ चाट अपनी बची खुची इज़्ज़त बचा गए बल्कि बेइज़्ज़त होने से भी बच गए ....

तो अक्खे हिंदुस्तान में है कोई जो सही व्यक्तियों के चयन का दम्भ भर सके ?? .. है कोई जो भक्तों को अक्लमंद सिद्ध कर सके ?? .. है कोई अन्ना का चेला जो यादव-भूषण में हवा भर सके ?? .. है कोई समझदार जो सिद्धू का साथ भी दे सके ?? ....

और है कोई टुच्चा लुच्चा जो अब माई के लाल केजरीवाल को पंजाब जीतने से रोक सके ???? ....

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