Tuesday 6 September 2016

// अन्ना को केजरीवाल से उम्मीद कब हो गई थी - जो अब टूट गई ?? ....//


अन्ना का सशक्त आंदोलन बेअसर कर दिया गया था .. क्योंकि आंदोलन तो सफल रहा था - पर नतीजा सिफर रहा था .. लोकपाल बिल नहीं लाया जा सका था .. कांग्रेस भाजपा ने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए आंदोलन को लंबा खिंचवा और टलवा आंदोलन को खुद की मौत मरवा दिया था ....

और अन्ना सहित सभी ने हथियार डाल दिए थे .. केवल एक को छोड़कर .... और वो एक था .. ज़िद्दी 'अरविन्द केजरीवाल' ....

वो अरविन्द केजरीवाल जो आज भी मुट्ठी भर साथियों के साथ अपनी राह पर चल रहा है - सबसे लड़ भिड़ रहा है - रोज़ मर रहा है रोज़ जी रहा है - गालियां खा रहा है - दहाड़ रहा है - रो रहा है - रुला रहा है - चुनौतियां दे रहा है - बदनाम हो रहा है - नंगों को नंगा कर रहा है - राजनीति को बदल रहा है - और फेंकुओं भ्रष्टों को धिक्कार रहा है .. यानि वो अपनी जान पर खेल और अपना सबकुछ दांव पर लगा सबकुछ कर रहा है जो उससे करते बन रहा है .... इसलिए अरविन्द केजरीवाल को नमन !! ....

पर अन्ना का क्या ?? .. जिस दिन अरविन्द केजरीवाल ने 'आप' पार्टी बनाने की घोषणा करी थी - अन्ना ने तो केजरीवाल से अपने आप को उसी दिन अलग कर लिया था .. और इसलिए कि वो "पक्ष-पार्टी" के विरोध में थे - उन्हें पार्टी बनाने से कोई फायदा नज़र नहीं आया था - और उन्हें केजरीवाल से कोई उम्मीद बाक़ी नहीं रह गई थी ....

अब तक मैंने ठीक कहा ना - कुछ गलत तो नहीं ?? .... तो अब आगे गौर फरमाइए ....

फ़ोकट बैठे-बैठे आज अन्ना "पक्ष-पार्टी" के चक्कर में क्यों पड़ रहे हैं - अब "आप" पार्टी पर बयानबाज़ी क्यूँ - अब क्यूँ कह रहे हैं कि उनकी केजरीवाल से उम्मीदें टूट गई हैं ?? .. थी कब जो टूट गई हैं ???? ..

और मेरा अन्ना को खुल्ला प्रश्न .... यदि अरविन्द केजरीवाल जो तुमसे अलग हो कुछ नहीं कर पाया - तो तुमने और तुम्हारे साथ चिपके रह गए बाकी लोगों ने बाद में क्या उखाड़ लिया .. और यदि कुछ उखाड़ा हो तो खुश क्यों नहीं रहते - ये मुहँ लटकाए हमेशा अरविन्द को गालियां क्यों देते रहते हो ?? .. ये क्यों नहीं बताते कि 'लोकपाल" का क्या हुआ ?? .. और जो लोकपाल आया उसने क्या आपको निहाल कर दिया ?? .. और यदि निहाल कर दिया तो हंसो - ये हमेशा रोते-धोते क्यों रहते हो ?? .. और यदि अरविन्द ने तुमको नाउम्मीद कर भी दिया तो अन्नाजी फिर एक नाम बताओ जिसने तुम्हे निहाल कर दिया हो ?? किरण बेदी ?? वीके सिंह ?? स्वामी अग्निवेश ?? शाज़िया इल्मी ?? अनुपम खेर ?? मोदी ?? राहुल ?? योगेंद्र यादव ?? प्रशांत भूषण ?? ..

सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर .... राजनीति गन्दी है .. और अन्ना की "पक्ष-पार्टी" वाली बात भी थोथी ही निकली .... कुछ सही है तो केवल अरविन्द केजरीवाल के क्रांतिकारी कर्म और उनके अथक प्रयास .. और यदि उनके प्रयास भी सफल ना हुए तो खराब देश की किस्मत .... इसलिए आज दुखी मन से अन्ना को भी दिल-दिमाग से धिक्कारते हुए .. जय हिन्द !!

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5 comments:

  1. Kamal Pant
    5 hrs ·
    संदीप कुमार को मंत्रिपद और पार्टी से निकाल कर भारतीय राजनीति में उदाहरण पेश किया गया.. इसके बावजूद लगातार मूर्खों की तरह भौंकने वाले लोग वो हैं, जिन्होंने अब तक भी गर्व से निहाल चंदों को अपना जीजा घोषित कर रखा है.. और जिनके अति महान मंत्री आधिकारिक बयान देते हैं "निर्भया का बलात्कार तो बस एक मामूली सी घटना थी, मीडिया को इसका विज्ञापन नहीं करना चाहिए था"

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  2. Nicely Written..I am also thinking same since i heard so called Anna's interview.
    I never heard anything about selfish Kiran Bedi, V.K Singh from Anna Hazare.Shame on Anna Hazare

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  3. Anna ko bjp, congress nahi dikkti..Kiran bedi, vk singh nahi dikhte...anna dimag lagao apna agar hai to!

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  4. Very thoughtful article. Read such article after a long time.

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