Sunday 13 November 2016

/.. तो बैंकों के बाहर लगी भूखी प्यासी थकी संयमित लंबी लाइनों से आज तो स्थापित हो जाता है कि - जो बोलते थे इस देश के कई लोग घटिया - स्वार्थी - देशद्रोही - अराजक - पाकिस्तानी - नक्सली - जिस थाली में खाते उसमें छेद करने वाले दोगले - आराम पसंद - मक्कार - असहिष्णु - भ्रष्ट - आदि - इत्यादि .. वो स्वयं निहायत झूठे - अफवाहबाज - जुमलेबाज - और बिना अक्ल और तर्क वाले बेवकूफ हैं .. जिन्हें एक शब्द में भक्त कहा जाता है .... और जो जनता के संयम की परीक्षा ले अक्षम्य गुनाह कर रहे हैं ..../


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