Wednesday 30 November 2016

/.. सीमा पर गोलियां चलती रहीं .. शहादत होती रहीं .. .. सत्तासीन उग्र दिखते रहे .. नकारा सिद्ध होते रहे .. .. प्रश्न उठाने वर्जित रहे .. श्रेय अर्जित होते रहे .. .. यूँ ही खून खौलते रहे .. दोषारोपण होते रहे .. .. हम आप गालियां खाते रहे .. जवान गोलियां खाते रहे .... जवान अब भी सीमा पर खड़े हैं .. हम आप लाइनों में खड़े हैं .. .. शाने बेचारों के पीछे पड़े हैं .. और साहेब हैं कि अब भी अड़े हैं ..../


No comments:

Post a Comment