My blog is my reaction and analysis of the current Political and Social affairs of our country - India.
Monday, 14 November 2016
/.. क्या है कि फटे में रफू तो होती है .. पर फटे में रफू जैसा थेगड़ा लगाना ज़रा मुश्किल होता है .. और थेगड़े में रफू करना तो और मुश्किल .. पर फिर रफू को भी रफू करना .. बाप रे बाप !! .. पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ये सब बखूबी कर लेते थे .... लेकिन लगता है किसी ने फटे में टांग डाल दी है - थेगड़ा लगाना असंभव हो गया है .. और किसी ने पूछ लिया है - बागों में बहार है ?? .... किसी को कुछ मालुम हो तो बताने की दरकार है .. किसी को मिले तो १०० रूपए दे देने की दरकार है .. आज सोमवार है - शायद वो पिछले कई वार से फरार हैं ..../
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment