Wednesday 30 November 2016

/.. किसी भी मनोचिकित्सक अनुभवी प्रशासक या मानव संसाधन विशेषज्ञ से पूछ लें - सब एक मत से कहेंगे कि .. काम के बीच-बीच में अंतराल - वातावरण बदलाव - मनोरंजन - शरीर को आराम आवश्यक है - और मानसिक आराम भी अत्यावश्यक है .. .. पर मैं देख रहा हूँ इस निर्दयी देश ने अपने प्रधान सेवक और चौकीदार को लगातार काम करने के लिए मजबूर कर रखा है - और वो लगातार ३० माह से बिना किसी अवकाश के रोज़ १८-१८ घण्टे लोगों के काम लगा रहा है .. .. स्वाभाविक है मानसिक सन्तुलन तो बिगड़ना ही था - सो बिगड़ गया - जो नोटबंदी के निर्णय और क्रियान्वयन के तरीके से स्पष्ट हो जाता है .. .. इसलिए देशहित में मेरी देशवासियों से मानवीय आधार पर अपील - इस बेचारे 'सामान्य मानवी' की अब छुट्टी करो यार .. और किसी काबिल संतुलित मानस के व्यक्ति को बागडोर सौंप दो भाई .. देशहित में ..../


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