Thursday 24 November 2016

/.. लगता है हमारे बेचारे देशवासियों को पहले सामने खड़ी बाधा रुपी ऊँची दीवार का एहसास कराया गया .. फिर दीवार दिखा दी गई .. फिर टूटी फूटी तिकड़मी सीढ़ी लगा दी गई .. फिर कहा गया .. तुम्हें ये बाधा पार करनी ही पड़ेगी - और कोई विकल्प नहीं .. चढ़ जाओ सीढ़ी .. .. बेचारे देशवासी चढ़ते गए चढ़ते गए .. दीवार के ऊपर पहुंच गए .. अब कह रहे हैं कूद जाओ .. और कुदाई जारी है .. .. अब गिरते पड़ते मरते सबको भगाया जाएगा .. और फिर पीछे से दाग दिया जाएगा .. .. .. मुझे पूरा दृश्य 'भोपाली एनकाउंटर' के समानांतर ही दिख रहा है .. बस अंतर इतना सा है - तब हताहत आतंक के आरोपी हुए थे .. अब हताहत और हलाकान आतंकित देशवासी हो रहे हैं .. .. .. वो भी आतंक का एक चेहरा था - ये भी तो आतंक का ही एक नया चेहरा लगता है - शायद उससे भी भयावह ..../


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