My blog is my reaction and analysis of the current Political and Social affairs of our country - India.
Wednesday 23 November 2016
/.. सीमा पर जवान शहीद होते ही रहे .. यकीनन हर शहादत के बदले में मुंहतोड़ जवाब की दरकार है .. .. सीमा के अंदर साहेब ने नोटबंदी की लाइन लगवा दी .. लाइन में भी निर्दोष नागरिक खपते मरते ही रहे .. .. क्या हर मौत पर मुंहतोड़ जवाब की दरकार नहीं ?? .. क्या कोई राष्ट्रवाद की अपनी ही संकुचित परिभाषा गढ़ के किसी भी मौत पर मुंहतोड़ जवाब के बदले अपना मुंह मोड़ सकता है ?? .. और क्या हमने मुंहतोड़ जवाब दे दिया था ?? .. और क्या कोई अपना मुंह नहीं मोड़ रहा ?? .. और क्या सेना के हर जवान की शहादत पर यदि हर नागरिक का सर झुकता है तो क्या हर निर्दोष नागरिक की दुःखद मृत्यु पर भी हर नागरिक का सर नहीं झुकना चाहिए ?? .. क्या टीवी बहस में हमारे पूर्व सैनिकों ने जवान-जवान ही बोलने की कसम खाई है - क्या कुछ अतिरिक्त शब्द निर्दोष नागरिकों के लिए निकालने में भी अतिरिक्त शौर्य की आवश्यकत होगी ?? .. और क्या निर्दोष मृत नागरिक को दुखी होकर भावावेश में शहीद कह देना गुनाह माना जाएगा ?? .. तो क्या भारत सरकार "शहीद" की परिभाषा प्रस्तुत करने के लिए तैयार है ?? ..../
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment