Friday 4 November 2016

// फर्जी चूक - फर्जी मुठभेड़ - असल साज़िश .... एक और "भोपाली मुठभेड़" की दरकार ..//


भोपाल जेल से कैदी भागे थे या भगाए गए थे .. और इसे "चूक" बताया जा रहा है .. पर मैं इसे चूक नहीं 'फ़र्ज़ी चूक' निरूपित करता हूँ .. क्योंकि मैं अक्ल रखता हूँ और समझता हूँ कि मुख्यमंत्री सहित समस्त बड़े-बड़े टुच्चे अधिकारियों के बंगलों पर जेल प्रहरियों से गैरकानूनी मजदूरी पूरी बेशर्मी के साथ करवाई जा रही थी जो केवल "चूक" की श्रेणी में नहीं आती .. ये चूक तो "फ़र्ज़ी चूक" ही कहलाएगी .. और अपराध भी - वो भी जघन्य अपराध - वो भी शायद आतंकियों के अपराध से बड़ा अपराध .... क्योंकि १६० में से ८० जेलकर्मियों की ड्यूटी जेल के बाहर टुच्चों के यहाँ अपराध नहीं तो फिर क्या ???? .... 

और फ़र्ज़ी चूक के भरोसे भागे भगाए ८ कैदियों को जिस प्रकार मार गिराया गया - और मार गिराया गया बताया गया - और किस प्रकार मार गिराया गया अब पता चल रहा है - उससे मुझे साफ़ है कि ये मुठभेड़ "फ़र्ज़ी मुठभेड़" थी ....

यानि "फ़र्ज़ी चूक" और फिर "फ़र्ज़ी मुठभेड़" मुझे पुख्ता यकीन दिलाती है कि एक "असल साज़िश" के तहत ही भाजपा और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नियोजित प्रायोजित यह काण्ड संपन्न हुआ होगा ....

अब आगे क्या ?? ....

कुछ विशेष प्रकार के बेशर्म कमलगट्टे फ़र्ज़ी मुठभेड़ में ८ आरोपियों को मार गिराए जाने को भी सही बता रहे थे - इस बिनाह पर कि वो आतंकी थे वो मुजरिम थे .. फिर उन्हें क्यों जेलों में बंद कर खिलाया पिलाया जाता रहे - क्यों फालतू का मुक़दमा - क्यों फालतू का न्याय - क्यों फालतू की समय बर्बादी .. बस जो किया ठीक किया - क्योंकि त्वरित न्याय हो गया ....

और इसी बिनाह पर आज मेरी मांग .. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी जेल अधिकारियों को "फ़र्ज़ी चूक" के आरोप में - और समस्त असली पुलिस वालों को फ़र्ज़ी मुठभेड़ के आरोप में - एक और मुठभेड़ कर मार गिराया जाना उचित होगा .. कोई आरोप-पत्र नहीं - कोई निलंबन नहीं - कोई केस नहीं - कोई न्याय प्रणाली नहीं - कोई समय बर्बादी नहीं .. बिना किसी असल साज़िश के - बस जस का तस - खुल्लमखुल्ला !!!!

है किसी भक्त या कमलगट्टे में ताकत या औकात जो मेरी तार्किक असंगत (जी हाँ "असंगत") बात के विरुद्ध तर्क दे सके ????

और मेरा सुझाव है कि भविष्य में ऐसी मुठभेड़ को "भोपाली मुठभेड़" ही कहा जाए - ताकि कोई कमलगट्टा अन्याय हो जाने का "फ़र्ज़ी इल्ज़ाम" लगाने की ज़ुर्रत न कर सके .... जय भोपाल !! 

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