Friday 31 October 2014

//// 31 अक्टूबर ----- "तब" !! और "अब" !! ////

आज 31 अक्टूबर 2014 को देश में बहुत कुछ घटित हो रहा है - पटेल जयंती - इंदिरा पुण्यतिथि - महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस का वानखेड़े स्टेडियम में भव्य अभूतपूर्व शाही खर्चीला शपथ ग्रहण - दिल्ली में मोदी जी द्वारा "रन फॉर यूनिटी" - जबकि दिल्ली के ही त्रिलोकपुरी से सांप्रदायिक दंगों का हृदयविदारक रुन्दन - बुखारी-शरीफ / मोदी न्योता प्रकरण पर बहस !!!!
इन घटनाओं और देश की स्थिति के परिप्रेक्ष्य में >>>>
>> "तब" मैं सोचता था कि ये सरकार और नेता केवल इंदिरा जी को ही क्यों याद करते हैं, सरदार पटेल को क्यों नहीं ? "अब" मैं सोचता हूँ कि ये सरकार और नेता केवल सरदार पटेल को ही क्यों याद कर रहे हैं इंदिरा जी को क्यों नहीं ?
>> "तब" मैं सोचता था कि अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ राजभवन में ही ले लेते तो बेहतर होता .... "अब" मैं सोचता हूँ कि देवेन्द्र फड़नवीस जैसी विलासिता की मानसिकता वाला नेता मुख्यमंत्री की शपथ ही न ले तो बेहतर !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि कितनी अच्छी परिपाटी है कि कोई भी मंत्री अपना कार्यभार सँभालने के पूर्व सार्वजनिक शपथ लेता है .... अब मैं सोचता हूँ कि इनका ऐसा राज्याभिषेक क्यों ? !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि क्या ये "रन फॉर यूनिटी" से कुछ हासिल होगा ? .... "अब" मैं सोचता हूँ कि ऐसे आयोजन निहायत फ़िज़ूल फूहड़ शोशेबाजी होकर "रन फॉर सत्ता" हो गए हैं !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि मोदी सरकार ने नवाज़ शरीफ को न्योता भेज शायद गलती की है .... "अब" मैं सोचता हूँ कि मोदी सरकार ने नवाज़ शरीफ को न्योता भेज निश्चित ही भारी बेवकूफी की थी !!!!
>> तब मैं सोचता था कि देश का आम मुसलमान राष्ट्रवादी है, पर कुछ नेता वाहियात .... "अब" मैं सोचता हूँ कि मैं ठीक ही तो सोचता था !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि ये कैसे लोग हैं जो दंगे फैलाते हैं .... "अब" मैं सोचता हूँ कि ये कैसे घिनौने नेता हैं जो दंगे फ़ैलाने का षड़यंत्र करते हैं - और बेचारे लोग इसे रोकने का ?
>> सोचता मैं "तब" भी था .... सोचता मैं "अब" भी हूँ ....
सरकार कुछ आप भी तो सोचें !!!! धन्यवाद !!!!

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