Sunday 12 October 2014

//// मोदी जी 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के परिप्रेक्ष्य में 'AK-49' की "स्वराज" एक बार पढ़ें ////

'सांसद आदर्श ग्राम योजना' का शुभारंभ करते हुए मोदी जी ने कहा >>>>
>> हम ऐसा माहौल बनाएंगे कि हर व्यक्ति को अपने गाँव पर गर्व होगा ....
>> मैं यह वादा नहीं करता कि रातोंरात बदलाव आ जायेगा - यह स्कीम ही सम्पूर्ण नहीं है - वक्त के साथ इसमें बदलाव और सुधार होते जाएंगे ....
>> ये योजना रचनात्मक राजनीति की नींव रखेगी ....
>> शिशु मृत्यु दर मातृ मृत्यु दर में होगी निश्चित गिरावट ....
>> यह योजना जनता की भागीदारी से ही आगे बढ़ेगी ....
>> बहस चलती रही है कि योजना ऊपर से नीचे आनी चाहिए या नीचे से ऊपर - लेकिन जो काम कर रहे हैं उन्हें कहीं से तो शुरुआत करनी ही होगी - बहस से फायदा होता है - ये होनी ही चाहिए ....
मेरी प्रतिक्रिया / विवेचना / आपत्तियां / सलाह / और दिल की बात >>>>
>> इस योजना के क्रियान्वयन या लक्ष्य में ऐसा क्या है जो इसे "सांसदों" से जोड़ा गया है ? क्या सांसदों का प्राथमिक कार्य मुख्यतः संसद में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए पूरे देश के प्रति अपनी जवाबदारियों का निर्वहन करने का नहीं है ? या ज्यादा से ज्यादा अपने पूरे संसदीय क्षेत्र के विकास पर ध्यान देना और जनता की समस्याओं का निराकरण करवाना ? .... फिर ये एक गांव को आदर्श गांव बनाने की बात कैसे उचित मानी जाए ? क्या सांसद फुर्सत में हो गए हैं ? क्या यही कार्य पंचायत पर या उच्च अधिकारियों के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकता था ? क्या जहाँ छोटे चाकू का काम हो वहां बड़ी तलवार का उपयोग करना समझदारी हो सकती है ? यदि इस कार्य को करने के लिए सांसद ही आदर्श व्यक्ति हो सकते हैं तो फिर तो बेहतर होगा कि इस योजना का नाम ही "सांसद आदर्श ग्राम योजना" से बदलकर "आदर्श सांसद ग्राम योजना" कर दें !!!!
>> मोदी जी माहौल बनाने में तो आपका कोई सानी नहीं है - पर आपकी सोच कि हर व्यक्ति इस पर गर्व करे या कर रहा है या करेगा पूर्णतः काल्पनिक एवं गलत है .... क्योंकि आपके भक्तों के आलावा समाज में मेरे जैसे सजग लोग भी हैं जिन्हे आपके अभी तक के क्रियाकलाप पर गर्व करने जैसा कुछ भी नहीं लगता - अपितु दुःख ज़रूर होता है कि आप बहुत बोलते हैं करते कुछ नहीं, वादे बहुत करते हैं पूरा नहीं करते - और शायद आपकी सोच उद्योगपतियों के हित में शुरू हो वहीँ खत्म हो जाती है पर गरीब तक नहीं पहुँच पा रही है !!!!
>> मोदी जी आपने तो शुरुआत में ही यह कह दिया कि यह स्कीम ही सम्पूर्ण नहीं है - वक्त के साथ इसमें बदलाव और सुधार होते जाएंगे .... अब क्या कहें ???? पिछले ४-5 महीने में आप जब संपूर्ण स्कीम ही नहीं बना पाये हैं और इसके दीगर कुछ विशेष अन्य कार्य भी नहीं कर पाये हैं तो आपकी कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह तो स्वतः ही लग जाता है - और योजना की सफलता पर तो और अनेकानेक प्रश्नचिन्ह ????
>> मोदी जी आपने कहा कि ये योजना रचनात्मक राजनीति की नींव रखेगी - तो क्या आप ये तथ्य स्वीकारते हैं कि अभी तक इस देश में किसी के द्वारा भी रचनात्मक राजनीति हुई ही नहीं थी और आप ऐसे पहले महापुरुष हैं जो इस योजना के माध्यम से इसकी नींव रखने जा रहे हैं ???? और फिर जब आप ये भी कहते हैं कि "इस योजना से शिशु मृत्यु दर मातृ मृत्यु दर में होगी निश्चित गिरावट" तो हास्यास्पद ही लगता है - मोदी जी ज़रा लफ़्फ़ाज़ी थोड़ी नियंत्रित रखें और हवा में कुछ तो भी उछालने के बजाय ज़रा पुख्ता विश्लेषण से अपनी बात रखें तो ही बेहतर होगा - अन्यथा तो आपके भक्त भी आपका साथ छोड़ देंगे !!!!
>> मोदी जी आप कहते हैं कि यह योजना जनता की भागीदारी से ही आगे बढ़ेगी - तो प्रश्न उठता है कि फिर आपकी सरकार की भागीदारी क्या रहेगी ? केवल परउपदेश ??
>> मोदी जी बड़ी ही विचित्र बात है कि आप अभी भी इस विषयक संशय की स्थिति में फंसे हैं कि ये योजना ऊपर से नीचे आनी चाहिए या नीचे से ऊपर ?? मोदी जी इस विषयक आपको एक छोटी सी सलाह दूंगा और यदि आपने मेरी सलाह मान ली तो आपका संशय खत्म हो जाएगा - आपका भी भला और देश का भी भला हो जाएगा ....
मेरी सलाह >>>> //// इस देश में एक अरविन्द केजरीवाल नाम के व्यक्ति हैं जिन्हे आप AK-49 नाम से भलीभांति जानते हैं पहचानते हैं - उन्होंने एक छोटी सी प्यारी सी सारगर्भित पुस्तक लिखी है "स्वराज" - और आपको पढ़ने का शौक भी है - तो बस आप ये किताब कृपया एक बार पढ़ भर लें ////
>> तो लीजिये जनाब आपकी इच्छानुसार मैंने ढेर सारी बहस कर डाली - आपको और देश को फायदा पहुँचाने के मकसद से - देखें कुछ फायदा होता है कि नहीं - कि एक बार फिर आपके भक्त और गालियां ..... ????
>> और अंत में मेरे दिल से मेरे प्यारे ग्रामवासियों के लिए कुछ पंक्तियाँ ....
//// ये सांसद "आदर्श ग्राम" तो शायद ही बना पाएं ....
.....ग्रामवासियों को ही "आदर्श सांसद" बनाना होंगे ....////

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