Tuesday 21 October 2014

//// मोदी जी किसको मूर्ख बना रहे हैं ?? 5 साल बाद 1-1 दिन का हिसाब देंगे ?? ////

समय ही सार है - समय बलवान है - समय महत्वपूर्ण है - समय कीमती होता है - समय बर्बाद नहीं करना चाहिए - समय किसी के लिए रुकता नहीं हैं - समय से किया गया कार्य ही श्रेष्ठ हो सकता है - समय ......... आदि-इत्यादि !! -- इस प्रकार समय की अपनी महिमा है और समय के आगे सब नतमस्तक होते आये हैं !!!!
पर जनाब हमारे मोदी जी की तो बात ही अलग है ....
श्रीमान जी एक तरफ तो कुछ विशेष किये नहीं हैं - और दूसरी तरफ देश को अपने कार्यों का हिसाब देने के लिए तैयार नहीं हैं - पर बातों में महारथी मोदी जी उपरोक्त सभी उक्तियों को धता बताते हुए कहते हैं कि "पूरे 5 साल बाद मैं 1-1 दिन का हिसाब किताब जनता को दूंगा" - और मूर्ख बनने की चाह रखने वाली जनता तालियां बजाती है या इस मिथ्यक बात से अकारण प्रसन्न और संतुष्ट हो जाती है !!!!
अतः मैं सर्वहित में भ्रामक जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से सब के समक्ष अपनी विवेचना और प्रतिक्रिया रखना चाहता हूँ >>>>
बहुत सरल सी तो बात है कि समय के परिप्रेक्ष्य में किसी भी विषयवस्तु का हिसाब किताब केवल निम्नानुसार ही हो सकता है - जैसे - पल पल का हिसाब (इसे 'लाइव' भी कहा जा सकता है) - हर सेकंड या मिनिट या घंटे का हिसाब - हर दिन का दैनिक हिसाब - हर सप्ताह का साप्ताहिक हिसाब - हर महीने का मासिक हिसाब - हर वर्ष का वार्षिक हिसाब या हर 5 या 10 वर्ष का हिसाब - आदि !!!!
अब आप अपनी सामान्य बुद्धि लगा मुझे बताएं कि यदि आपका मुनीम या सेवक यदि आपको रोज़ाना हिसाब दे तो तो आप इसे दैनिक हिसाब ही मानेंगे ना - पर यदि वो आपको महीने भर के अंतराल से हर माह की पहली तारिख को हिसाब किताब देते हुए ये बताये कि पिछले माह के प्रत्येक दिन उसने क्या किया था तो ऐसा हिसाब मासिक कहलायेगा या दैनिक ????
तो जनाब अब आप समझ गए होंगे कि मोदी जी आपको अपने शब्दजाल में उलझा मूर्ख बना रहे हैं - वो ना तो आपको हिसाब दे रहे हैं न देने वाले हैं - वो आपको 1-1 दिन का तो क्या महीने या साल का हिसाब भी नहीं देने वाले - वो तो आपको पूरे 5 साल बाद ही हिसाब देंगे जो "5 साल का हिसाब" ही तो कहलायेगा - 1-1 दिन का हिसाब कैसे कहलायेगा ?? और कल्पना करें कि यदि उनका 5 साल का हिसाब गड़बड़ रहा तो ?? तो क्या आप बीत चुके प्रत्येक दिन के बारे में कुछ कर पाएंगे ????
मेरी विवेचना ज़रा विस्तृत हो गयी है पर भ्रामक जनता के दिमाग में ठूसने के लिए इतना आवश्यक सा लगा - तो मेरे समझदार मित्रों से माफ़ी के साथ प्रस्तुत है !!!!

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