Wednesday 1 July 2015

//// नंगों की उधेड़बुन ....////


नंगों के कपडे उतर गए - नंगे नंगे हो गए ....
नंगा ! नंगा !! नंगा !!!!
तू भी नंगा ....
नहीं तो ! मैंने तो कपडे पहन रखे हैं ....
तू कपडे के नीचे नंगा ....
कपडे के नीचे तो तू भी नंगा ....
चल हट बे - याद कर तू पैदाइशी नंगा ....
तो क्या तू कपडे पहन पैदा हुआ था - तू भी पैदाइशी नंगा ....
यूं तो सभी नंगे पैदा होते हैं - पर तू तो अभी-अभी नंगा हुआ है ....
तू बता तेरे कपडे कहाँ गए ?
तेरे कहाँ गए - कौन उतार ले गया ?
अबे चुप हो जा .... अब ज्यादा मत बोल - नहीं तो ....
तो फिर तू भी चुप हो जा ....
ठीक है अपन तू-तू मैं-मैं नहीं करते - पर उसे कौन चुप करेगा ?
चल ठीक है अपन दोनों मिल कर उसे चुप करते हैं ....

पर वो है कौन ????
सबसे बड़ा नंगा ....
उसके कपडे कहाँ गए ?
इन नंगो ने ही तो उतारे थे ....
क्यों उतारे थे ?
नंगो की नंगाईयत ....

अब क्या होगा ?
बड़ा नंगा खुद टाई सहित सूट पहने घूमता रहेगा और चुन चुन नंगो को नंगा करता रहेगा ....

तो फिर और कोई कुछ नहीं करेगा ?
लगता तो नहीं ....
क्यों ?
जिसके कपड़े उतर रहे वो कुछ करने की औकात में नहीं ....
और जिसके अभी उतरे नहीं उसकी कुछ कर गुजरने की औकात नहीं ....

तो यानि अब तो कुछ नहीं होगा ....
नहीं ऐसा भी नहीं है ....
सब कुछ हो तो रहा है ....
क्या ?
नंगो के कपडे उतर तो रहे हैं ....
वाह क्या बात कही है .... सब कुछ हो तो रहा है .... नंगे नंगे हो तो रहे हैं - है ना !!!!

पुनश्चः - तुच्छ नंगी पंक्तियाँ आदरणीय लंदनवासी ललित मोदी की प्रतिष्ठा में समर्पित ....

No comments:

Post a Comment