Tuesday 14 July 2015

//// पिछले ८-१० दिनों का आंकलन ....////


पिछले ८-१० दिन से मोदी जी सरकारी यात्रा पर थे - विदेश में थे .... और मैं भी अपनी निजी यात्रा पर था - पर देश में ही था - परिवार और मित्रों के साथ इधर-उधर घूमता फिरता - पैर धरती पर ही थे - और धरती से जुड़े ही कई लोगों से बातचीत करने हँसने हँसाने का मौका मिलता रहा .... पिछले ८-१० दिन मेरे बहुत अच्छे बीते ....

पर मोदी जी के अच्छे बीते या नहीं - कह नहीं सकता .... क्योंकि इस बार वो चमक-दमक दिखी नहीं - वो 'इंडियन डायस्पोरा' के सामने के ओजस्वी से दिखने वाले या बताए जाने वाले घिसे-पिटे भाषण पर भी मीडिया और मोदिया तक का ज्यादा प्रसारण नहीं दिखा .... और पीछे देश में मोदी जी की वॉट लगती रही .... विशेषकर उनकी चुप्पी के विरुद्ध लोगों की चुप्पी टूटती-फूटती दिखी - प्रखर अपशब्दों के प्रयोग के साथ .... 

पर पाकिस्तान संबंधित मोदी-शरीफ की बातचीत पर काफी प्रसारण हुआ जो शायद सही मायने में नकारात्मक था - यानि उसका पुट तो यही था कि मोदी क्यूँ मिल रहे हैं - धत्त तेरे की - गई भैंस पानी में - ये मरवाएगा - ऐसा थोड़े ही होता है - क्या हासिल होगा - यह बड़ी भूल है - आदि डायलाग बहस के दौरान आते रहे जिस पर भाजपा प्रवक्ता 'चिल्लाचोट' मचाते रहे .... और अंततः 'चिल्ला' 'चोट' अलग हुए क्योंकि भाजपा प्रवक्ताओं का 'चिल्लाना' भी बंद हुआ क्यूंकि 'चोट' खा ही गए .... और पाकिस्तान ने एक बार फिर भक्तों को मौका दिया ये बोलने का कि पाकिस्तान नहीं सुधरेगा - और मुझे ये बोलने का कि मोदी भी कहाँ सुधरे ????

इस दौरान लोगों से बातचीत करने में मुझे कुछ अच्छी अनुभूति भी हुई .... मुख्यतः मुझे ये लगा कि लोग "स्मार्ट सिटी" के बारे में बहुत बातें कर रहे हैं - और मेरा अनुभव ये रहा कि कुछ पढ़े लिखे उत्साही भाजपाई भक्त तो जरूर माने बैठे हैं कि बस "स्मार्ट सिटी" जैसा कुछ होने ही वाला है - पर क्या होगा इस बात से वो लापरवाह और अनभिज्ञ ही दिखे .... और इसके उलट गरीब और जागरूक कम पढ़े-लिखे लोग जिनकी संख्या अधिक थी वो अधिकांशतः "स्मार्ट सिटी" का तार्किक उपहास करते ही दिखे .... और मुझे लगा कि वाकई लोग 'स्मार्ट' होते जा रहे हैं !!!!

जो एक अन्य विषय सबसे चर्चा में रहा वो था "व्यापम घोटाला" - और इस विषयक भी लोगो का नज़रिया सरकार के प्रति घृणा गुस्से और धिक्कार का ही दिखा - यहाँ तक की भक्त भी व्यथित ही दिखे ....

इसके अलावा भाजपा के सुषमा स्वराज से लेकर वसुंधरा स्मृति दुष्यंत मुंडे तावड़े फड़नवीस शिवराज और रमनसिंह आदि के भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों पर भी चर्चाएं हुई - कोंग्रेसी भ्रष्टाचार - केजरीवाल और दिल्ली सरकार - दिल्ली रेफरेंडम - बिहार चुनाव - यूपी में पत्रकारों की हत्या और अमिताभ ठाकुर प्रकरण आदि पर भी चर्चाएं हुई .... और यकीनन लोग मुझे भाजपा - मोदी - भ्रष्टाचार - गुंडई - और घिनौनी राजनीति के विरूद्ध आवाज़ प्रखर करते दिखे - और केजरीवाल और बहादुर पत्रकार और अमिताभ ठाकुर जैसे लोगों के समर्थन में उत्सुक दिखे !!!! 

और अंततः मोदी जी के डायलॉग "ना खाएंगे ना खाने देंगे" पर भी बहुत रोचक सी मसालेदार चर्चाएं हुई .... और मुझे लगा कि अब लोग समझ गए हैं कि मोदी जी की औकात नहीं वो दूसरों को खाने से रोक सकें - और वो खुद भी नहीं खा रहे या खाएंगे इस बात की भी गारंटी नहीं .... यानि अब लोगों का विश्वास दरकता दिखा !!!!

कुल मिलाकर मुझे लोगों का आंकलन मोदी जी के विरूद्ध दिखा - जिसे मैं देश के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूँ .... क्योंकि मैं मानता हूँ कि जागकर भी सोने की एक्टिंग करते रहना तो स्वयं के साथ गद्दारी होती है - 'अच्छे दिन' नहीं आये तो क्या 'बुरे दिन' तो गए पर संतोष करना नादानी होती है - और अब 'अच्छे दिन २५ साल बाद आएंगे' पर विश्वास कर लेना तो निरी बेवकूफी ही होगी ना !!!!

No comments:

Post a Comment