Tuesday 21 July 2015

//// तो अब इस्तीफे तो नहीं ही होंगे ना ....////


आज संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया .... जैसा अंदेशा था - जैसा अनुमानित था - जैसा विपक्ष द्वारा भी उद्घोषित था - सत्र के पहले दिन कोई कामकाज नहीं हुआ या होने दिया गया या ना होना मंज़ूर कर लिया गया .... झगडे रगड़े का आज का शुरूआती मुहुरुती मुद्दा था भाजपा के आरोपित नगीनों में एक विशेषकर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे के होने या ना होने का .... मुद्दा वसुंधरा का और व्यापम का भी व्याप्त था ही .... और भाजपा के भ्रष्टाचार का भी .... और 'मौनदी' मोदी जी की चुप्पी का भी ....

ठीक है .... भाजपा ने जो करना था करा - उसे अधिकार है क्योंकि जनता ने उन्हें चुना है .... पर आज मेरा मोदी जी को चुनौती देने का अधिकार भी बनता है ....

और मेरी चुनौती है कि अब जब संसद का कामकाज बाधित होना शुरू और तय हो ही गया है - विपक्ष ने संसद चलने के लिए अपनी शर्त साफ़ कर ही दी है कि बिना इस्तीफों के संसद नहीं चलने देंगे और उस पर तुर्रा ये कि बहस भी नहीं करेंगे - तो क्या मोदी जी भी अंत तक अपनी तथाकथित ५६ इंची मर्दानगी कायम रखते हुए इस्तीफे नहीं लेंगे - या फिर ऐसा तो नहीं कि विपक्ष की माँग मान कर इस्तीफे लेकर संसद चलने देंगे ..... और यदि इस्तीफे लेकर चलने ही देंगे तो क्या उस वक्त तक संसद ना चलाते हुए फ़िज़ूल खर्च हुए हमारे पैसे हमें लौटाएंगे ????

और क्या मैं भक्तों की तरफ से घोषित मानूं कि मोदी ५६ इंची तब तक कहलाएंगे जब तक वो अपनी बात पर कायम रहेंगे - और यदि नहीं रह पाए तो ५.६ इंची ????

मित्रो मेरा उपरोक्त बात लिखने का मकसद सीधा सा है पर चुभता सा है .... आज जब गिलानी को पासपोर्ट दे दिया गया है - श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडे लहराए जा रहे हैं - मेरे मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले के दौड़ते भागते घोटाले में कुछ डॉक्टर्स महामहिम से मृत्यु प्राप्त करने की गुहार लगा रहे हैं - जबकि इस घोटाले में लोगों को मौत के घाट तक उतारा जा चुका है - और भ्रष्टाचार के दाग पुख्ता से लगने वाले आरोपों के साथ कई भाजपाइयों पर लग ही रहे है तथा लगते ही जा रहे हैं - तब भी मैं देख रहा हूँ कि इस देश के कई नागरिक भाजपा की मोदी सरकार का समर्थन कर रहे हैं !!!! मेरे कुछ पढ़े लिखे मित्र और रिश्तेदार भी मुझ से बहस करते हैं कि मोदी जी जो कुछ कर रहे हैं सही कर रहे हैं !!!! इस्तीफे तो होने ही नहीं चाहिए !!!!

और मैं निराश हूँ .... क्योंकि मुझे लगता है कि इस्तीफे क्यों नहीं होने चाहिए ???? क्या गुनहगार मेरे नेता बने रहेंगे ???? क्या शिवराज मेरे मुख्यमंत्री और मोदी ही मेरे प्रधानमंत्री बने रहेंगे ???? और क्या मैं मेरे मित्रों और रिश्तेदारों की बकवास सुनने के लिए अभिशप्त रहूंगा ????

पर इस समस्त उहापोह के बीच मुझे एक आशा की किरण भी दिखती है - और वो यह कि शायद मोदी अब मेरे प्रधानमंत्री नहीं रह सकेंगे - क्योंकि - अब विपक्ष के द्वारा मांगे जा रहे इस्तीफे तो पक्के में नहीं ही होंगे ना - और इसलिए अंततः मोदी को ही इस्तीफ़ा देना पड़ेगा ना !!!! .. और यदि अब रोते गाते खुदा ना खास्ता इस्तीफे हो भी गए तो भी उन्हें प्रधानमंत्री रहने कौन देगा ????

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