Friday 24 July 2015

//// फाँसी की फाँस .. ज़िंदगी का समाधान ना सही - फाँसी का समाधान तो हो ..////


दुर्दांत अपराधी याकूब मेमन को न्यायालय के द्वारा फाँसी की सजा सुना दी गई .... और उसे ३० जुलाई को नागपुर जेल में फाँसी देने की तैयारी हो गई है ....

असदुद्दीन ओवैसी ने प्रश्न उठाया है कि ऐसे कई और प्रकरण हैं जिसमें अन्य मुजरिमों को फांसी की सज़ा हो चुकी है और ऐसी सज़ाएं याकूब मेमन की फाँसी के बहुत पहले न्यायित और घोषित हो चुकी हैं - इसलिए याकूब मेमन को फाँसी उन फाँसियों के पहले क्यों ??

बहस तो मैंने काफी सुन ली और भाजपा के सांसद साक्षी महाराज की पाकिस्तान जाने की नसीहत भी सुनी - पर याकूब मेमन के प्रश्न का माकूल जवाब सुनने को नहीं मिला ....

हमेशा की तरह सभी राजनीतिक लोग राजनीति करते ये कहे सुने जा रहे हैं कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए ....

तो मेरा कहना है बिना राजनीति किए संबंधित जवाबदार असरदार लोग असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न का जवाब दे याकूब मेमन को तुरत फाँसी दे दें - फाँसी की फाँस ख़त्म करें ....
और यदि किसी के पास आज जवाब ना हो तो ???? .. तो राजनीति भी नहीं करें और फाँसी भी नहीं दें ....

पर मुजरिम को फाँसी नहीं ?? .. यह भी तो उचित नहीं होगा ....
इसलिए मेरा मानना है कि असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न का माकूल समाधान तो निकालना ही होगा ....

मोदी सरकार अभी तक लोगों की खुशहाल ज़िन्दगी का तो समाधान नहीं कर पाई है .... पर आज उसके पास एक मौका है .... ज़िंदा रहने का समाधान ना सही - कम से कम फाँसी का न्यायोचित समाधान ही निकाल लागू करे .... मसलन पहले आएं पहले पाएं की तर्ज़ पर - पहले फँसे पहले फाँसी पाएं .... है ना !!!!

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