Friday 24 July 2015

//// संसद की कार्यवाही केवल एक दिन मेरी कल्पना अनुसार चल जाए तो ..////


आज भाजपा वर्चस्व वाली एनडीए के सांसदों ने संसद के बाहर कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध धरना दे मारा .... जिसके गवाह वहां सदैव मौजूद पूज्य गांधी जी बन चुके हैं ....
भ्रष्टाचार के विरुद्ध हर आवाज़ का स्वागत .... भले ही वो भ्रष्टाचारी के द्वारा ही क्यों न हो ....

पर सत्ताधारी सांसदों के द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन ????????
और वो भी पूर्व में केजरीवाल का उपहास करने वालों के द्वारा .... छिः !!!!  

मेरे प्रश्न .... ये नाकाबिल चाहते क्या हैं ? .. इनकी मांग किससे और क्या है ? .. क्या ये नवाज़ शरीफ से या ओबामा से या यूनाइटेड नेशन से माँग कर रहे हैं कि कांग्रेस के भ्रष्टाचारी मुख्यमंत्रियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए ????

या कहीं इनकी माँग मुझ से तो नहीं ?? कि अब हम तो कुछ कर नहीं सकते आप ही कुछ कर दो !!!!

मित्रो यदि ऐसा हो और मुझे अधिकार प्राप्त हो जाए तो कस्सम से मैं समस्या का निदान कर सकता हूँ .... और वो भी एक ही दिन में .... और वो भी संसदीय तरीके से संसद के ही द्वारा ....

आपको विदित होगा कि भूतकाल में सांडों को या बैलों को या बंदियों को एक बंद एरिना में छोड़ दिया जाता था की लड़ो - लड़ो मारो या मरो - और राजा या शासक ऐसी लड़ाई का सिंहासन पर बैठ मज़ा लेते थे ....

मेरी भी योजना और इच्छा है कि मैं भी स्पीकर की कुर्सी पर बैठ जाऊं और संसद भवन से सारा फर्नीचर हटवा सारे दरवाज़े बंद करवा सारे सांसदों को खुल्ला बीच में छोड़ दूँ ..... और कहूँ कि - हो जाओ शुरू - मारो काटो गालियां दो - वो सब करो जो तुम्हारी मर्ज़ी में आए - कोई हसरत बची ना रह जाए ....

और जो आखरी में बचेगा वो हमारा प्रधानमंत्री होगा !!!!!!!!!

मित्रो मैं दावे से बोलता हूँ कि मेरा ये आईडिया बहुत कारगर सिद्ध होगा क्योंकि जब वर्तमान के सभी एक समान भ्रष्ट सांसद अपना तार्किक अंत प्राप्त कर लेंगे तो आखरी बचा सांसद इस देश को निश्चित ही बिना किसी अवरोध के बड़े आराम से सुचारू रूप से चला सकेगा - क्यूंकि तब ना रहेगा बाँस और ना बजेगी बाँसुरी - ना बचेंगे टुच्चे ना बचेगी टुच्चई ....

मित्रो आप भी मेरी कल्पना से अपनी कल्पना को एक बार जोड़ कर देखिएगा - आप निश्चित ही पाएंगे कि मैं कोई पागल कदापि नहीं - और शायद इसके अलावा कोई चारा नहीं .... और यदि हो भी तो इससे ज्यादा सरल त्वरित और उपयुक्त नहीं ....

अस्तु - मेरी बात का गूढ़ सारांश ऐसे भी समझा जा सकता है कि यदि संसद की कार्यवाही एक दिन भी ईमानदारी से चल जाए तो इस देश की तकदीर बदली जा सकती है !!!! धन्यवाद !!!!

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