सुना था हर अपराधी की भी एक स्वपरिभाषित इज़्ज़त होती है .... मसलन ....
यदि आप .... भ्रष्ट नेता को डकैत बोलोगे .... डकैत को चोर .... चोर को उठाईगिरा .... उठाईगिरे को गुंडा .... गुंडे को लंफूट .... लंफूट को पागल .... पागल को मनचला .... या मनचले को आशिक .... तो मेरा ऐसा विश्वास है कि सबको बहुत बुरा लगेगा .... बुरा इसलिए लगेगा की उनको लगेगा उनकी औकात गिराई जा रही है - और उनकी व्यावसायिक योग्यता का उपहास किया जा रहा है ....
ऐसे ही यदि आप किसी ठुल्ले को निठल्ला बोलोगे तो निश्चित ही उसे बुरा लगेगा - क्योंकि यह तो ठुल्ले का सीधा-सीधा अपमान होगा - क्योंकि ठुल्ले की नकारात्मक योग्यता शायद निठल्ले से तो कहीं अधिक ही है ....
पर मेरी समझ के परे है कि यदि टुच्चों को ठुल्ले जैसे व्यावसायिक शब्द के साथ ससम्मान संबोधित किया जाए तो इसमें इतनी चिल्लपों क्यों ?? क्या टुच्चे से भी ज्यादा टुच्चा कुछ होता है - और क्या हर ठुल्ला टुच्चा होने की औकात रखता है ???? नहीं ना !!!!
इसलिए मेरी ऐसी समझाइश है कि जो ठुल्ला टुच्चा न हो उसे बुरा मानने की आवश्यकता कदापि नहीं है .... और जो टुच्चा ठुल्ला हो उसकी हमें परवाह भी नहीं है ....!!!! जय हिन्द !!!!
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