Wednesday 15 July 2015

//// सावधान!! मोदी और 'नीति आयोग' का 'नीति' से कोई लेना देना नहीं ..////


पहले एक 'योजना आयोग' हुआ करता था - अंग्रेजी में इसे 'Planning Commission' कहते थे .... और नाम अनुरूप ये योजना बनाने का काम करता था ....
मोदी जी ने इसे बंद कर 'नीति आयोग' बना दिया .... पर इसके नाम में 'नीति' शब्द का हिंदी शब्द 'नीति' से कोई लेना देना नहीं है - क्योंकि दरअसल इसका नाम 'NITI Aayog'  है - जिसमें 'NITI' का मतलब है - 'National Institution for Transforming India' .... और टीप करें कि इसमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों का अच्छा खासा घालमेल किया गया है ....

आज ही इसी 'नीति आयोग' की एक मीटिंग हुई जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था - पर पहुंचे केवल १६ मुख्यमंत्री .... विषय था - "लैंड बिल" ....

अब "लैंड बिल" के संबंध में कोई नीति बनना प्रत्याशित थी इसमें तो मुझे संदेह है - हाँ लैंड बिल पर चर्चा या बहस होना ही प्रत्याशित माना जा सकता है - और बहस उपरान्त कोई निष्कर्ष ?? तौबा तौबा जनाब - ये बात ना तो योजना के तहत और ना ही नीति के तहत प्रत्याशित थी .... अतः मीटिंग का ना कोई निष्कर्ष निकलना था ना निकालना था ना निकाला जा सकता था ना निकला ना निकाला गया ....

तो फिर प्रश्न उठता है कि आखिर 'नीति आयोग' की मीटिंग बुलाई ही क्यों गई ??

उत्तर नीतिगत है - कुछ अच्छा करो या ना करो - कम से कम कुछ अच्छा करते दिखो ....
आपकी कोई नीति हो या ना हो कोई योजना हो या ना हो - बस फेंकम फांक करते रहो ....
मोदी जी की यही नीति है - कि उनकी कोई नीति ही नहीं है - और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भ्रष्टाचार के कई प्रकरणों में वे घुघ्घू जैसे चुप बैठे हैं - तथा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होना यही स्थिति एवं तथ्य पुख्ता करता है ....

अतः सिद्ध होता है कि - मोदी और 'नीति आयोग' का 'नीति' से कोई लेना देना नहीं !!!! 
इसलिए समय आ गया है कि जनता ही कुछ नीतिगत निर्णय करे .... योजनाबद्ध तरीके से .... भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध !!!!

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