Saturday 25 July 2015

//// असफलता के कारण भाषा विश्वास अंदाज़ में कितनी गिरावट ..////


बिहार के मुजफ्फरपुर से पहली चुनाव रैली में अभी-अभी मोदीजी का भाषण सुना ....

अभी तक सब कहते थे और मैं भी मानता था कि वो एक अच्छे वक्ता होते हुए बहुत बढ़िया भाषण देते रहे हैं ....

पर आज मेरा तो माथा दुःख आया .... आज तो मोदी बहुत अटपटा सा बोले और बहुत लंबा बोले - ऐसा लगा कुछ बोलना है तो बोल रहे हैं और बोलते ही जा रहे हैं - बार बार जनता से फ़िज़ूल के जुमले या बातें ही उगलवाने की कोशिश करते रहे - उसी घिसे पिटे अंदाज़ में चिल्लाते हुए .. "चाइये की नई चाइये-चाइये की नई चाइये-चाइये की नई चाइये" .... और ना मालूम कितनी फ़िज़ूल की बचकाना बेतुकी बातें .... जैसे कि RJD का मतलब "रोजाना जंगलराज का डर" .... "गला घोंट देते चांटा मार देते" .... आदि !!  

मुझे आज अहसास हुआ कि एक सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे व्यक्ति और एक असफल हो चुके व्यक्ति की भाषा और विश्वास और अंदाज़ में कितनी गिरावट आ जाती है - कितना खोखलापन आ जाता है .... 

मोदी आज मुझे खोखले से लगे .... कुछ डगमगाए से भी ....

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