Wednesday 14 October 2015

// क्या भूमिका विहीन प्रधानमंत्री की कोई भूमिका नहीं ?? ....//


और अंततः लम्बीsss चुप्पी के बाद - बिहार चुनावों के मद्देनज़र अपने पत्ते फेंटते बदलते देखते छिपाते खोलते - मोदी जी कुछ बोले - आनंद बाजार पत्रिका से बोले .... " दादरी की घटना या पाकिस्तानी गायक के विरोध की घटना दुखद है - मगर इन घटनाओं में केंद्र सरकार की क्या भूमिका है ?? "

और मुझे आश्चर्य हुआ कि मोदी जी के कुछ एक विचार मुझ से भी मिलते हैं - क्योंकि मैं भी तो यही कहता रहा हूँ कि दादरी की घटना या पाकिस्तानी गायक के विरोध की घटना दुखद है ....
और मैं ही क्या - कुछ विचित्र शिवसैनिकों को छोड़ और कुछ अंधभक्तों को छोड़ पूरा देश डंके की चोट पर यही तो कहता रहा था .... था कोई 'पुल्लू का अट्ठा' जिसने ये कहा हो कि दादरी की घटना या पाकिस्तानी गायक के विरोध की घटना सुखद थी ??
हाँ !! बस फर्क इतना रह गया कि मैनें अपनी यही बात आनंद बाजार पत्रिका से करने के बजाय सोशल मीडिया के ज़रिये बहुत पहले और ससमय सार्वजनिक कर दी थी ....

और मैं तो मोदी जी की इस बात से भी सहमत हूँ कि ऐसी घटनाओं में केंद्र सरकार की क्या भूमिका हो सकती है ?? .... नहीं हो सकती .... क्योंकि ये सरकार निकम्मी है - इसमें कुछ अच्छा और आवश्यक कर गुजरने का ना तो कोई जज़्बा है - ना निश्चय - ना काबलियत - ना कूवत - ना हिम्मत - ना अनुभव - ना ही ईमान .... और ना ही इस सरकार के पास कोई आवश्यक भूमिका निभाने वाला नेतृत्व ही है ....

पर जब मैं यह देखता हूँ कि यही भाजपा जब दिल्ली के डेंगू को भगाने में और दिल्ली को साफ़ करने जैसे कार्यों में ना तो 'एमसीडी' और ना ही 'केंद्र सरकार' की कोई भूमिका देखती है तब मुझे यह स्पष्ट हो जाता है कि ये मोदी सरकार मक्कारी से अपनी भूमिकाओं से बचने की भूमिका ही बांधती रहती है .... एक भूमिका विहीन प्रधानमंत्री के नेतृत्व में .... छिः !!!!

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