मोदी आजकल अपने आप को नाराज़ दिखा रहे हैं .... अपनी पार्टी के कई नेताओं से नाराज़ .... जो बेलगाम बोलते हैं - समस्या आमंत्रण जैसा बोलते हैं .... कुत्तों के बारे में बोलते हैं ....
पर मैं देख रहा हूँ कि भाजपा पार्टी में भी कई नेता हैं जो उल्टे मोदी से नाराज़ हैं ....
इसलिए कि मोदी वो नहीं बोल रहे हैं जो वो सांप्रदायिक नेता चाहते हैं कि मोदी भी बोलें .... मसलन कुत्तों के पिल्ले के बारे में ....
और मोदी वो भी नहीं बोल रहे हैं जो कुछ बाकी धर्मनिरपेक्ष नेता चाहते हैं कि मोदी बोलें .... मसलन जो महामहिम राष्ट्रपति बोल रहे हैं ....
यानि कुल मिलाकर .... मोदी अपनी पार्टी के नेताओं से बोलने के कारण नाराज़ हैं - और पार्टी नेता मोदी से ना बोलने के कारण नाराज़ हैं ....
और जनता है कि इन सब बड़बोलों से और मौन मोदी से नाराज़ है .... इसका एक कारण यह भी है कि अब तो 'विकास' की आवाज़ आना तक बंद हो गई है .... अब तो बस या तो बकवास है या सन्नाटा !!!!
तो प्रश्न उठता है कि खुश कौन है ??
खुश कोई नहीं है .... खुश मैं भी नहीं हूँ .... देश के ऐसे हालात पर खुश कोई हो भी कैसे सकता है ?? .... यहां तक कि मैं आजकल भक्तों को भी उदास ही देख रहा हूँ .... निराशा के साथ खिसियाई सी उदासी ....
जो बस अब शीघ्र ही नाराज़गी में परिवर्तित होने वाली है ....
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