Thursday 15 October 2015

// पुरूस्कार तो मैं नहीं लौटाऊंगा ....//


आजकल यूं तो मोदी सरकार का विरोध सर्वत्र ही होने लगा है - पर एकाएक साहित्यकारों का विरोध प्रखर हो नायाब हो चर्चा में अधिक है .... क्योंकि साहित्यकार थोकबंद अपने पुरूस्कार लौटा रहे हैं - कुछ ना कुछ विरोध में - सरकार के विरोध में - देश के दूषित किये जा रहे माहौल के विरोध में ....

लिखता तो मैं भी हूँ - और बहुत लिखता हूँ - और कुछ प्रशंसक कहते हैं खूब लिखता हूँ .... पर मुझे अब तक कोई साहित्य का पुरूस्कार प्राप्त नहीं हुआ है ....

इसका उचित कारण भी है - कि मैं जो लिखता हूँ वो "साहित्य" की श्रेणी में नहीं आता होगा .... और इसलिए ही मुझे साहित्य का कोई पुरूस्कार नहीं दिया गया होगा ....

पर ऐसा भी नहीं है कि मुझे कोई पुरस्कार नहीं मिला .... मिला है और भरपूर मिला है .... वो भी प्रायः भक्तों के द्वारा .... और वो भी "असाहित्यिक" .... सदैव घिसी पिटी गालियों के रूप में ....

और इसलिए मैंने निर्णय किया है कि - ना तो मैं "असाहित्यिक" लिखने से रुकूँगा - और ना ही मैं मुझे इफरात में प्राप्त "असाहित्यिक" पुरस्कार लौटाऊंगा ....

क्योंकि जो "असाहित्यिक" मुझे मिला है - उसे ही मैं अपनी पूंजी समझता हूँ - उसे ही तो मैं असल "साहित्यिक" मानकर शिरोधार्य करता आया हूँ .... वही तो मेरा प्रेरणा स्त्रोत रहा है .... मसलन जब कोई मुझे "बुढऊ" कहता है तो मुझमें एक नई ऊर्जा का संचार हो जाया करता है ....

देश के इस खराब माहौल के इस पड़ाव पर मेरा भक्तों को विशेष धन्यवाद !!!!

No comments:

Post a Comment