Thursday 15 October 2015

// मोदी के डेढ़ साल - दाल तीन गुना - फिर भी दादरी दाल पर भारी - क्यों ?? ..//


देखते देखते मोदी सरकार के करीब डेढ़ साल पूरे हो गए ....
और देखते देखते दाल के भाव तीन गुना बढ़ गए ....

जिस अंदाज़ में मोदी फेल हुए उसकी चर्चा तो बहुत हुई ....
पर जिस अंदाज़ में और जिस अनुपात में दाल के दाम बढे हैं उस अनुपात में चर्चा ना हुई ना हो रही है ....

अब इस तथ्य से यदि कोई ये निष्कर्ष निकाले कि दाल के दाम बढ़ना कोई अहम मुद्दा ही नहीं - तो मान कर चलिएगा कि ऐसा माननेवाला खाया-पिया गर्राया हुआ कोई अहमक ही हो सकता  है ....

क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि दाल का मुद्दा एक वास्तविक गंभीर मुद्दा है - और ये मुद्दा तो बना भी हुआ है ..... पर इस देश का गरीब है कि स्वयं खाली पेट भूखा होते हुए भी 'साम्प्रदायिकता' को बर्दाश्त नहीं कर सकता ....

इसलिए जब तक मध्य वर्ग साहित्य वर्ग बुद्धिजीवी वर्ग राजनैतिक वर्ग उच्च वर्ग और मोडिया मीडिया "साम्प्रदायिकता" के मुद्दे पर बड़े आराम से बहस कर रहा है मज़े ले रहा है - तब तक गरीब मन मसोस कर राष्ट्रहित में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए और अपने बड़प्पन का प्रदर्शन करते हुए भूखे पेट चुप है - सन्न है .... क्योंकि शायद वो भी 'साम्प्रदायिकता' को भुखमरी और मृत्यु से भी भयावह मानता है !!!! 

और इसलिए गरीब की बदौलत ही इस देश में साम्प्रदायिकता का मुद्दा सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है....
// दादरी का मुद्दा दाल पर भारी पड़ा हुआ है // .... जी हाँ !! 'गरीब की बदौलत' !!!! 

और निकम्मी जूँ  है कि मोदी के कान में रेंगने से मना कर रही है ....
शायद इन्हें अब खुजली तब ही होगी जब इनकी दाल इतनी पतली हो चुकी होगी कि गरीब ही इन्हें दाल के मुद्दे पर नहीं बल्कि 'साम्प्रदायिकता' के मुद्दे पर उखाड़ फेंकेगा .... वैसे भी अमीर की औकात ही क्या ????

और इसलिए इस देश के गरीब के त्याग को मेरा अश्रुपूरित नमन ....
और मोदी की चापलूस 'जूँओं' और मोदी को धिक्कार !!!!

1 comment:

  1. इस प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग केवल और केवल कोई मूर्ख चूरन छाप अन्धभक्त ही कर सकता है। आप इसी प्रकार सत्य के मार्ग पर चलते रहे, आपके लेखो पर जो गालियां आती है वही पुरस्कार है आपके लेखो को।
    अपशब्दों की तीव्रता चोट कितनी गहरी और सटीक निशाने पर लगी होने का मापदण्ड है।
    आप का जीवन स्वस्थ्य और दीर्घ हो।

    ReplyDelete