आजकल साहित्यकारों द्वारा कालांतर में उन्हें प्राप्त पुरूस्कार लौटाए जा रहे हैं .... वो भी एक के बाद एक .... जैसे शिवसैनिक और भाजपाइयों के भड़काऊ कृत्य और बयान - दे दनादन - एक के बाद एक !!!!
और हमारे देश के संस्कृति मंत्री महेश शर्मा इसे गलत मानते हैं - वे इसमें भी किसी 'विचारधारा' को ढूंढ लेते हैं - और कहते हैं - ये किसी 'विचारधारा' के तहत किया जा रहा है .... यानी दे दनादन - एक और बयान !!!!
मेरे विचार ....
मंत्री जी !! सब कुछ विचारधारा का ही तो दोष है और विचारधारा का ही तो खेल है .... इस सरकार की विचारधारा ही तो सही नहीं है .... इस सरकार की विचारधारा तथाकथित "सबका साथ सबका विकास" की विचारधारा ही तो नहीं है .... इस सरकार की विचारधारा लोगों के धर्म जाति खानपान विचारों आदि की स्वतंत्रता के अनुकूल ही तो नहीं है ....
इस सरकार की विचारधारा भेड़चाली है - जो मोदी से शुरू होकर मोदी पर फिर से शुरू हो जाती है - और आगे ही नहीं बढ़ पा रही है .... यानिकी "ठस" हो गई है ....
और इसलिए विचारक साहित्यकारों के विचार धाराप्रवाह हो चले हैं - विचार 'विचारधारा' हो चले हैं - "प्रचण्डधारा" हो चले हैं ....
इसलिए महेश शर्मा जी !! बेहतर होगा आप विचार करें - "ठस" हो चुकी आपकी विचारधारा से बाहर आकर विचार करें - विचारकों की विचारधारा अनुरूप भी विचार करें ....
और मेरा यकीन करें - आपकी विचारधारा भी बदल जाएगी - मोदी की "ठस" विचारधारा से आगे की "उन्मुक्त" विचारधारा में बदल जाएगी .... ईश्वर आपको विचार करने योग्य बुद्धि दे !!!!
कांग्रेस के अन्दर नेता सिर्फ सोनिया तक सोचते हैं और बीजेपी में लोग सिर्फ मोदी तक ही सोचेंगे उसके आगे भक्तो और बीजेपी नेताओं की सोच ही ठस जो हो गयी है.....!!!!!!!!!!!!!!!!
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