//// 1993 से 2010 तक की अवधि में रहे सभी सांसद यदि आज भी सांसद हैं तो इस्तीफ़ा दें ////
देश की सर्वोच्च अदालत का अंतिम निर्णय - 1993 से 2010 तक की अवधि में किये गए सभी 214 कोल् ब्लॉक आवंटन रद्द !!!!
मेरी विवेचना >>>>
सारे नेता - सारी पार्टियां - सारे देशवासी जान लेवें कि कानून ने अपना काम कर दिया है - अब बिना किसी किन्तु जंतु परन्तु के ये स्वीकार्य करना होगा कि 1993 से 2010 तक काफी कुछ गलत हुआ अनियमित हुआ भ्रष्टाचार हुआ - और होता ही रहा ....
अतः इस दौरान की सभी सरकारें और विपक्ष तो इस सबके लिए जवाबदार हैं ही पर इस सब के लिए तत्कालीन प्रत्येक सांसद भी जवाबदार है .... ऐसा इसलिए कि जब कुछ वकीलों ने या दो चार और लोगों या संस्थाओं ने मिलकर इस व्यापक भ्रष्टाचार को पहचाना, उसे उजागर किया, कोर्ट तक खींच कर ले गए, और ये निर्णय करा ही दिया - तो फिर ये काम सांसद क्यों नहीं कर सकते थे - या कम से कम अपना कुछ योगदान ही क्यों नहीं दे सकते थे ????
पर 17 साल के इस लम्बे अंतराल में सारे के सारे सैंकड़ों सांसद अकर्मण्य और बेअसर रहे - ये शर्म की बात है और जवाबदेही की भी - और अंततः इससे ये साबित होता है कि या तो ये सारे सांसद मंदबुद्धि थे जिन्हे इनके आस पास क्या हो गया पता ही नहीं चला - और या फिर ये भी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हुए या सब जानते हुए अनजान बनते हुए खामोश रहे ..... अस्तु किसी भी स्थिति में ये सब के सब गुनहगार या जवाबदार तो हुए ही !!!!
अतः मेरी मांग >>>>
इसलिए मेरी मांग है कि 1993 से 2010 तक की पूरी अवधि में जो भी व्यक्ति सांसद था - और यदि वो व्यक्ति आज की वर्तमान लोकसभा या राज्यसभा का भी सदस्य है - तो वो सांसद तत्काल इस्तीफ़ा दे दे और अपने घर बैठ जाए - और यदि वो इस्तीफ़ा नहीं देता है तो जनता उसके इस्तीफे के लिए आवाज़ बुलंद करे - क्योंकि हमें ऐसे नकारा / मंदबुद्धि / भ्रष्ट / अक्षम सांसद को हमारे पैसे से लाखों रुपये की सुविधा और वेतन नहीं देना चाहिए - हम इस देश के मालिक हैं और किसे हमारे कार्य हेतु रखना या ना रखना हमारा विशेषाधिकार है .... है ना !!!!
देश की सर्वोच्च अदालत का अंतिम निर्णय - 1993 से 2010 तक की अवधि में किये गए सभी 214 कोल् ब्लॉक आवंटन रद्द !!!!
मेरी विवेचना >>>>
सारे नेता - सारी पार्टियां - सारे देशवासी जान लेवें कि कानून ने अपना काम कर दिया है - अब बिना किसी किन्तु जंतु परन्तु के ये स्वीकार्य करना होगा कि 1993 से 2010 तक काफी कुछ गलत हुआ अनियमित हुआ भ्रष्टाचार हुआ - और होता ही रहा ....
अतः इस दौरान की सभी सरकारें और विपक्ष तो इस सबके लिए जवाबदार हैं ही पर इस सब के लिए तत्कालीन प्रत्येक सांसद भी जवाबदार है .... ऐसा इसलिए कि जब कुछ वकीलों ने या दो चार और लोगों या संस्थाओं ने मिलकर इस व्यापक भ्रष्टाचार को पहचाना, उसे उजागर किया, कोर्ट तक खींच कर ले गए, और ये निर्णय करा ही दिया - तो फिर ये काम सांसद क्यों नहीं कर सकते थे - या कम से कम अपना कुछ योगदान ही क्यों नहीं दे सकते थे ????
पर 17 साल के इस लम्बे अंतराल में सारे के सारे सैंकड़ों सांसद अकर्मण्य और बेअसर रहे - ये शर्म की बात है और जवाबदेही की भी - और अंततः इससे ये साबित होता है कि या तो ये सारे सांसद मंदबुद्धि थे जिन्हे इनके आस पास क्या हो गया पता ही नहीं चला - और या फिर ये भी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हुए या सब जानते हुए अनजान बनते हुए खामोश रहे ..... अस्तु किसी भी स्थिति में ये सब के सब गुनहगार या जवाबदार तो हुए ही !!!!
अतः मेरी मांग >>>>
इसलिए मेरी मांग है कि 1993 से 2010 तक की पूरी अवधि में जो भी व्यक्ति सांसद था - और यदि वो व्यक्ति आज की वर्तमान लोकसभा या राज्यसभा का भी सदस्य है - तो वो सांसद तत्काल इस्तीफ़ा दे दे और अपने घर बैठ जाए - और यदि वो इस्तीफ़ा नहीं देता है तो जनता उसके इस्तीफे के लिए आवाज़ बुलंद करे - क्योंकि हमें ऐसे नकारा / मंदबुद्धि / भ्रष्ट / अक्षम सांसद को हमारे पैसे से लाखों रुपये की सुविधा और वेतन नहीं देना चाहिए - हम इस देश के मालिक हैं और किसे हमारे कार्य हेतु रखना या ना रखना हमारा विशेषाधिकार है .... है ना !!!!
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