Thursday 4 September 2014

गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागूं पाय !

गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागूं पाय !
बलिहारी गुरु आपकी सबको दियो बताय >>>>
बच्चों जब सांड पतली गली में सामने आ जाये तो ओटला चढ़ने में ही भलाई होती है .... चलो अब शांति से बैठ जाओ और बैठे रहो और जब भाषण हो तो शांति से सुनना !!!! कोई हल्ला नहीं करेगा !!!! शांत बिल्कुल शांत !!!! सब शांत हो जाओ !!!!
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इन ऊँचे नीचे लोगों का क्या भरोसा ????
सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा का डायरी प्रकरण - आरोप हैं कि रिलायंस के लोग कई बार रंजीत सिन्हा से मिलने उनके घर / कार्यालय आते जाते रहे ....
यदि ऐसा है तो मैं तो कहूँगा कि रंजीत सिन्हा जी को सलाम ठोंकना चाहिए कि उन्होंने अपने पद कि इतनी लाज तो रखी कि अंबानी के आदमी उनसे मिलने उनके पास आये पर वो कहीं नहीं गए !?!?
पर मुझे शक है कि ऐसा और इतना ही पूर्ण सत्य होगा .... मुझे लगता है कि यदि जांच हो तो शायद ऐसा भी सामने आ सकता है कि रंजीत सिन्हा या उनके दूत या आदमी अंबानी के घर उनसे मिलने अनेकों बार गए हों .... इन ऊँचे नीचे लोगों का क्या भरोसा ????
मैं समझदार तो हूँ कि दूर की ताड़ लेता हूँ .... पर दिमाग चकरभिन्नी हुआ जा रहा है कि यदि ऐसी जांच होगी तो जांच करेगा कौन ????
बहुत गुस्सा आ रहा है ..... और दुखी मन से इस बीच किशोर कुमार का ये गीत सुन रहा हूँ -
आनंद बख्शी की कलम से सदाबहार अर्थपूर्ण बोल हैं >>>>>>>>>>>>
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चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाए, 
सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए ?? 
पतझड़ जो बाग़ उजाड़े, वो बाग़ बहार खिलाये, 
जो बाग़ बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाये ?? 
हम से मत पूछो कैसे, मंदिर टूटा सपनों का, 
लोगों की बात नहीं है, ये किस्सा हैं अपनों का. 
कोई दुश्मन ठेस लगाए, तो मीत जिया बहलाये, 
मनमीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाये ?? 
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते, 
पीते हैं तो ज़िंदा हैं, ना पीते तो मर जाते, 
दुनिया जो प्यासा रखे, तो मदिरा प्यास बुझाए, 
मदिरा जो प्यास लगाए, उसे कौन बुझाए ?? 
माना तूफ़ान के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसी का, 
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का, 
मजधार में नैय्या डूबे, तो माझी पार लगाए, 
माझी जो नाव डुबोये उसे कौन बचाये ??  
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राजनीती में "बेशर्मी" जायज़ ????
नई सरकार आने के बाद तमाम राज्यपालों की उठापटक के बीच नजीब जंग अपने पद पर आसीन रहे .... कारण स्पष्ट थे अब पुख्ता होते जा रहे हैं !!!!
समाचारों के अनुसार LG द्वारा राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी गयी है जिसमें भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता देने की बात कही गयी है .... आगे षड़यंत्र में क्या है आसानी से कल्पना की जा सकती है .... पर आगे क्या होता है उसकी कल्पना करना भी कोई रॉकेट सांइंस नहीं है जिसका अनुमान न लगाया जा सके !!!!
अब आगे क्या होता है वो तो देखा जाएगा - पर दिल्ली चुनावों को लेकर सभी स्थितियां और भाजपा के सारे बयान और षड़यंत्र और सार्वजनिक बेशर्मी मेरे सामने है जिसके मद्देनज़र मुझे ऐसा लगता है कि भाजपा और षड्यंत्र में शामिल सभी बड़े नेता इस देश के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं जिससे जितनी देरी से निजात मिलेगी नुक्सान उतना ही ज्यादा होगा !!!!
मुझे ऐसा इसलिए भी लगता है कि सार्वजनिक जीवन में और राजनीती में "बेशर्मी" का होना सबसे ज्यादा हानिकारक है जिसे जायज़ नहीं ठहराया जा सकता !!!!

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