Sunday 14 September 2014

//// चुनाव के बाद चुनाव - मुद्दे वही - जहरीले - विकासरहित ////

//// चुनाव के बाद चुनाव - मुद्दे वही - जहरीले - विकासरहित ////
मैं तो सोचता था कि भाजपाइयों की जेहादी जहरीली जुबान को 13 सितम्बर उपचुनावों के बाद शायद विराम लगेगा ..... और फिर एक बार बीमार विकास की सुध ली जाएगी !!!!
पर अब 15 अक्टूबर को महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव घोषित हो गए हैं .... तो लगता है भैंस जायेगी पानी में ....
बल्कि अब तो पक्का समझो कि एक तरफ महाराष्ट्रीयन नॉन-महाराष्ट्रियन का मुद्दा और दूसरी तरफ खाप पंचायतों के हवाले से ऊटपटांग मुद्दे जो जनता के बीच वैमनस्य ही फैलाएंगे अभी और जोर शोर से जीवंत किये जाएंगे .... और शायद लव-जेहाद सरस्वती-साँईं के मुद्दे भी बरक़रार रखे जाएंगे .... और फिर शिव सेना के तरकश से भी तो कुछ बाण छूटेंगे ..... और महान राज ठाकरे के तोपखाने से कुछ गोले तो अपने आप ही प्रस्फुटित हो जाएंगे !!!!
इन जहरीले वैमनस्यकारी मुद्दों के बीच मोदी जी के विकास भाईचारे भ्रष्टाचार कालेधन आदि के तथाकथित मुद्दों के बारे में आशा करना भी शायद हास्यास्पद होगा .... और वैसे भी मोदी जी इन मुद्दों के प्रति चुनाव बाद कभी गंभीर दिखे हों ऐसा भी तो नहीं हुआ .... तो फिर इस विषयक कल्पना करना भी मूर्खता ही होगी !!!!
पर हाँ आशा करता हूँ कि इस बीच उत्तरप्रदेश की आम जनता को शायद इस उठापटक के बीच कुछ दिन या कुछ घंटे चैन की सांस लेने का सुअवसर मिल जाए .... और महाराष्ट्र और हरियाणा में विपरीत असर की आशंका से दिल्ली चुनावों के निर्णय लेने में भाजपा को कुछ शर्म का प्रदर्शन करना मजबूरी हो जाय !!!! घोर निराशा के बीच भी कुछ तो आशा की ही जा सकती है !!!!

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