Wednesday 10 September 2014

//// मेरे और मोदी के समान से कथनों में इतना भेदभाव क्यों? ////

जब मैनें कुछ अच्छी बातें कहीं कि हमें जाति धर्म आदि से ऊपर उठकर धर्मनिरपेक्षता का परिचय देना चाहिए, मिलजुल कर समरसता से रहना चाहिए - जब मैंने समाज में लव-जेहाद जैसी वैमनस्यकारी और भड़काऊ बातों के विरोध में लिखा - तो आप विश्वास करें मुझे प्रशंसा के साथ बहुत गालियां भी पड़ीं .... और गालियां भी मेरे हिन्दू धर्म का उपहास करते माँ बेटी बहनो के नामे और मुझे मेरी कौम और देश के प्रति गद्दार जैसे निरूपित करते हुए .... यहाँ तक कि मुझे इस अंदाज़ में "सेक्युलर" और "बुद्धिजीवी" कहा गया जो गाली से कम ना लगे - और जो बेचारा अनपढ़ हो तो उसे तो ये भ्रम भी हो जाए की "सेक्युलर" कोई नकारात्मक शब्द है और "बुद्धिजीवी" होना अपराध !!!!
पर जब मैंने लगभग मेरे ही शब्द मोदी राजनाथ वेंकैय्या आदि भाजपा के बड़े बड़े नेताओं, भाजपा प्रवक्ताओं और अनेक पत्रकारों और टीवी एंकर्स और डिबेटर्स को कहते सुना, अखबारों में पढ़ा, तो ऐसी कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने में नहीं आई .... गालियों का तो प्रश्न ही नहीं !!!!
ऐसा भेदभाव क्यों ??
मैंने इसकी विवेचना की और मुझे जो कारण समझ में आये वो निम्नानुसार हैं >>>
>>> आमजन के अब यह स्वाभाविक रूप से मानस में घुस गया है कि जो ये नेता बड़ी बड़ी अच्छी बातें कर रहे हैं वो बातें ही हैं - उन बातों का वस्तुस्थिति से कोई लेना देना नहीं हैं .... इसलिए जो सांप्रदायिक हिन्दू हैं उन्हें मोदी और अन्य भाजपाई भगवा सफेदपोश नेताओं के धर्मनिरपेक्ष वचन विचलित नहीं करते .... और जो वस्तुतः धर्मनिरपेक्ष लोग हैं वो सब जानते बूझते भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं होते .... और इसलिए वो शांत रहते हैं >>
>>> दूसरा कारण मुझे स्पष्तः अंधभक्ति की बढ़ती बीमारी जान पड़ती है .... मसलन ऐसे लोग अपनी पसंद बना चुके नेता की किसी भी हद तक प्रशंसा ही करेंगे और निंदा तो बिलकुल सहन नहीं करेंगे, फिर मुद्दा और वस्तुस्थिति चाहे कुछ भी हो .... ऐसे लोग प्रायः अनपढ़ ज्यादा होते है - इसलिए अशिक्षा भी एक कारण है >>
>>> और सबसे बड़ा कारण धर्मांधता असहिष्णुता और धर्म के प्रति कट्टरता है - और ये सबसे खतरनाक कारण है .... और धर्मांध भी कैसे कैसे कि बस किसी ने कुछ भी भड़काऊ बात की उसे सत्य ही मानते हुए धर्म में दी गयी सारी शिक्षा और मूल्यों की ऐसी की तैसी करते हुए निकल पड़ना धर्म की रक्षा में लड़ने भिड़ने को मारने काटने को गालियां देने को .... बिलकुल गंवारों और छुट्टे वहशी की तरह !!!!
तो मित्रों शायद आपको अब 'भेदभाव' का कारण समझ आया होगा ....
इसलिए मैंने निर्णय किया है कि संस्कारी भक्तों की गालियों से मैं विचलित नहीं होने वाला, बल्कि मैं उन्हें खुल्ली चुनौती देता हूँ कि .... नालायकों मुझे गाली देने के पहले पुराने समाचार पत्र, भाजपा के घोषणापत्र, 'गूगल' और 'यू-ट्यूब' आदि पर भाजपाई नेताओं के भाषण अवश्य टटोल लेना ....
मसलन यदि मैं कहता हूँ कि "इस देश में रहने वाले सभी मुसलमान हमारे ही भाई हैं" या "आतंकी की कोई जात नहीं होती" - तो धर्मांध हिन्दुओं की जायज़ औलादों मुझे गाली देने के पहले ये देख लेना कि इसी आशय की बात कहीं मोदी जी या अन्य संघी या भाजपाई ने भी तो नहीं कही थी ????
जय हिन्द ! .... ब्रह्म प्रकाश दुआ ....

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