Monday 15 September 2014

//// सेना द्वारा बचाव कार्य बाधित करने वालों पर जवाबी कार्यवाही क्यों नहीं ? ////

//// सेना द्वारा बचाव कार्य बाधित करने वालों पर जवाबी कार्यवाही क्यों नहीं ? ////
कश्मीर में भयावह और अभूतपूर्व आपदा आई थी .... और भारतीय सेना ने भी वहां जैसा अभूतपूर्व बचाव और राहत का काम किया है वो भी न केवल प्रशंसा और गर्व करने योग्य बल्कि सेना के कृतज्ञ होने योग्य भी रहा है .... इसलिए सर्वप्रथम हर देशवासी की ही तरह भारतीय सेना को मेरा भी धन्यवाद और सलाम !!!!
पर इस बीच बहुत ही दुखी और गुस्सा दिलाने वाली खबरें भी आ रहीं हैं कि वहां के कुछ अवांछनीय लोग उल्टे सेना पर हमला कर रहे हैं .... और इस कारण लगभग सभी देशवासी भी स्वाभाविक रूप से दुखी और उद्वेलित हो रहे हैं !!!!
इस विषयक मेरी विवेचना निम्नानुसार है ....
जब सेल्फ डिफेन्स में कई नेताओं को कानून अपने हाथ में ले उसे जायज़ भी ठहराते देखा गया है तो फिर सेना को भी आवश्यक कार्यवाही करने की छूट या आदेश क्यों नहीं ???? और क्या ऐसी असामान्य परिस्थिति में भी जब सेना अति संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण बचाव एवं राहत का पुण्य कार्य कर रही थी तब क्या सेना को अपने विवेक और तात्कालिक आवश्यकतानुसार कार्यवाही नहीं करनी चाहिए थी ????
उदहारण के लिए यदि मैं एक साधारण सी बात आपके सामने रखूँ की यदि अति इमरजेंसी में एक एम्बुलेंस घायलों को ले अस्पताल जा रही हो और एक दो वहशी एम्बुलेंस के सामने आकर लेट जावे या पत्थर हाथ में उठा सामने खड़े हो एम्बुलेंस को रोके - और आप उस एम्बुलेंस के ड्राइवर हों - तो आप क्या करेंगे ? क्या करना पड़ेगा ? क्या करना वांछित होगा ????
आशा है आपको जवाब मिल गया होगा !!!!
अतः मेरा ऐसा मानना है कि सेना के द्वारा किये सभी अतिप्रशंसनीय कार्यों के बावजूद सेना द्वारा जिस प्रकार की घटनाएं होने दी गयीं वो सेना पर भी छोटा मोटा प्रश्नचिन्ह तो खड़ा करती हैं - और जिस प्रकार के समाचार वहां से पूरे देश में फैले हैं यदि वो सही हैं तो उसके साथ-साथ ये समाचार भी आने ही चाहिए थे कि सेना ने भी समुचित जवाबी कार्यवाही की .... और उसके बाद मुजरिमों के नाम सबके सामने आने थे, उन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही शुरू होनी चाहिए थी !!!!
और हाँ जैसा कि समाचारों से ज्ञात हुआ है कि ऐसे सभी लोग एक विशेष समुदाय के हैं तो ऐसे वहशियों के विरुद्ध पहली और ऊँची आवाज़ उसी समाज के नेताओं ठेकेदारों और सभ्य लोगों से ही उठनी चाहिए थी - ताकि विभिन्न समाजों के बीच एक दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ सके !!!!

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