Wednesday 17 February 2016

// ये मुद्दा "तवायफों" का नहीं - ये मुद्दा तो राजा के जुल्मों का ही है ....//


एक किस्सा सा सुना था ....

एक जुल्मी शाना राजा .. राज्य में कई जुल्म .. और शायद इसलिए राज्य में कई मजबूर तवायफें .... पर ज्यादातर तफायफें भी "इज़्ज़तदार" .. ज़ुल्म के विरुद्ध मर्दाना प्रतिकार .... और कुंठित खिसियाए जुल्मी राजा ने "राजाविरोधी" तवायफों को करार दे दिया "राज्यविरोधी" - और दे दिया "राज्यनिकाला" ....

"मजबूर" तवायफें राज्य की बाहरी सीमा में जाने और बसने के लिए मजबूर हो गईं ....

कुछ ही समय में राज्य की "संस्कारी" जनता राज्य की बाहरी सीमा में खिंची चली गई - और वहां गजब की बसाहट हो गई और एक नए "साम्राज्य" की स्थापना ....

ये किस्सा मुझे इस लिए याद हो आया क्योंकि अब "इज़्ज़तदार" "तवायफी" "मजबूर" मुद्दे भी सीमायें लांघ रहे हैं .... हैदराबाद यूनिवर्सिटी से निकल - जेएनयू - और जेएनयू से निकल जादवपुर यूनिवर्सिटी ....

और इसके लिए दोषी है - "जुल्मी शाना राजा" - और कुछ "संस्कारी" जनता ....

इसलिए "आम" जनता को कहना चाहूंगा .... !! सावधान !! .... ये मुद्दा "तवायफों" का नहीं - ये मुद्दा तो राजा के जुल्मों का ही है ....

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