जेएनयू मामले में आज दिन भर की विस्मयकारी घटनाओं के बाद कुछ बातें स्पष्ट हो गई हैं >>
>> भाजपा और भाजपा समर्थित वकील और दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार द्वारा बड़े ही बेशर्मी के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की गई है .... वही सर्वोच्च न्यायालय जिसके मान सम्मान में यही नामुराद झकोरे पिछले हफ्ते भर कह रहे थे कि अफज़ल गुरु को सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी की सजा दी थी - और इसलिए अफज़ल गुरु की फांसी का विरोध मतलब इस देश की कानून व्यवस्था का विरोध - यानि "देशद्रोह" !!
>> अपने को देशभक्त बताने वाले बहुत से भाजपाई दरअसल गुंडे हैं ....
>> पिंजरे में बंद "मोदी की मैना" दिल्ली के ढीठ बस्सी गिरफ्तार किये जाने योग्य हैं ....
>> कन्हैया देशद्रोह के दोषी नहीं हैं ....
>> जेएनयू कैंपस में घोर आपत्तिजनक राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाले या तो एबीवीपी के ही मक्कार थे - या मोदी सरकार नकारा है जो अभी तक असल गुनहगार राष्ट्रद्रोहियों को पकड़ने तक में नाकाम रही है ....
>> और केंद्र सरकार के भोंदू नेता उजाले के उल्लू हैं - जिन्हें उजाले में कुछ नहीं दिखता .... और रात में ये उल्लू जैसे ही घूमते हैं - बिना अक्ल ....
>> और हम बदनसीब हैं क्योंकि इतने शानदार देश के इतने अच्छे लोगों को ऐसी निकम्मी सरकार मिली है जिसने इस देश की वर्तमान स्थिति की ऐसी की तैसी कर दी है ....
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