जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगे ....
पूरे जेएनयू पर राष्ट्रविरोधी होने का तमगा चिपकाने का कुत्सित प्रयास करने वालों से एक "प्रश्न" ....
हरियाणा में जाट आंदोलनकारियों ने दंगे कर मारे - लूटपाट करी आगजनी करी हत्याएं करी - और यहाँ तक कि अब आरोप आने शुरू हुए हैं कि उन दंगों के दौरान महिलाओं के साथ बदसलूकी और कुकृत्य के प्रयास तक किये गए - तो क्या पूरे हरियाणा में किसी भी प्रकार का कम या ज्यादा जाट आरक्षण होना चाहिए ????
मुझे लगता है केवल नैतिक चरित्र वाले - सत्य का साथ देने वाले - तर्कसंगत - अपने देश अपनी आबरू को प्यार करने वाले - दूसरों की इज़्ज़त करने वाले - सामाजिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील - गुंडागर्दी से नफरत करने वाले - गंदी राजनीति को धिक्कारने वाले - इस प्रश्न का जवाब कुछ ऐसा देंगे कि - "अब तो किसी भी हालत में कम से कम हरियाणा के जाटों को तो आरक्षण मिलना ही नहीं चाहिए" ....
पर कोई खुशफहमी में नहीं रहे - क्योंकि इसके इतर बता दूँ कि मोदीजी - खट्टरजी - और केंद्र और हरियाणा की भाजप सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी और हरियाणा के जाटों को कम-ज्यादा देर-सबेर आरक्षण दे दिया जाएगा ....
पर साथ ही ध्यान रहे - पूरे जेएनयू को बंद करने का दुस्साहस चाहकर भी नहीं किया जा सकेगा ....
तो क्या जेएनयू और हरियाणा का विवाद या मुद्दा एक जैसा ?? .... या इनमें कुछ समानताएं ??
नहीं कदापि नहीं .... क्योंकि जेएनयू का मुद्दा कुछ मुट्ठीभर देशद्रोही छात्रों की साज़िश या धूर्तता या मूर्खता का मुद्दा है .... और इसके विपरीत हरियाणा जाट आंदोलन एक उद्दंड गुंडई बेशर्म जातीय भीड़ का मुद्दा है .... और इसलिए दोनों मुद्दों में गहरा अंतर है ....
इसलिए स्पष्ट कर दूँ .... कि मेरे मतानुसार जेएनयू को बंद करना गलत होगा .. और .. जाटों को अब आरक्षण दे देना भी गलत होगा ....
आशा है भक्त और देशभक्त इस बात को समझेंगे .... अन्यथा जेएनयू के बंद ना होने पर ग़मगीन होंगे और जाटों को आरक्षण मिलने पर खुश होंगे और "मोदी खट्टर जय" !! के नारे लगाएंगे !!!!
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