मित्रो !! ....
अगर एक बार सवा सौ करोड़ देशवासी ये तय कर लें कि वो उल्लू नहीं बनेंगे, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हिंदुस्तान को उल्लू बना सके ....
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह सत्य है .... और इसलिए श्रेयस्कर होगा कि अब हम तय कर लें कि अब हमें और उल्लू नहीं बनना है ....
और इसलिए मैं चाहता हूँ कि एक अभियान - " नो 'O^O' बनाओइंग " - शुरू हो ....
ये अभियान माननीय प्रधानमंत्री जी के "सवच्छ भारत अभियान" से प्रेरणा प्राप्त कर ही मेरे द्वारा शुरू करने का मन हुआ है .... और दोनों अभियानों में एक समानता है - दोनों अभियानों का मकसद तो अच्छा है पर लगता है होना जाना कुछ नहीं ....
इसलिए आशा है आप मेरे अभियान का भी हँसते हुए समर्थन करना पसंद करेंगे .... हा !! हा !! हा !!
पुनश्चः
वैसे जब मैं आज पलट कर पूरे जेएनयू मामले को देखता हूँ और साथ ही सरकार में बैठे और पुलिस वकीलों अधिकारियों और बिकाऊ पत्रकारों के बयान सुनता हूँ तो मुझे लगता है - ये अभियान तो अब वाकई छेड़ना ही होगा .... बिना हंसी मज़ाक ....
मसलन यदि कारस्तानी बस्सी कहें कन्हैया के विरुद्ध सबूत - देशद्रोह के सबूत नहीं - नहीं नहीं थोड़े थोड़े सबूत हैं - अभी तहकीकात जारी है - हमें पुख्ता सबूत मिल गए है - हम अब जमानत का विरोध नहीं करेंगे - हम जमानत का विरोध करेंगे - मामला अंतर्राष्ट्रीय ....
या फिर कहें - वकीलों का वीडियो देखा है - पुलिस अपना काम कर रही है - इन वकीलों ने मारपीट करी इसका अभी कोई सबूत नहीं - नहीं वकीलों ने मारपीट तो करी है - पर कोई दोषी नहीं जब तक सिद्ध ना हो - वकील स्वयं कोर्ट ऑफिसर - पुलिस का काम तो केवल इन्वेस्टीगेशन करने का - कानून अपना काम करेगा ....
या फिर कहें - जेएनयू के आरोपित छात्रों को सरेंडर कर देना चाहिए - नहीं तो हमें और भी तरीके आते हैं - और सभी आरोपित छात्रों को पुलिस को सरेंडर कर स्वयं साबित करना चाहिए कि वो निर्दोष हैं ....
जी हाँ यानि अब पुलिस की जवाबदारी नहीं कि वे सभी छात्र गिरफ्तार हों - और पुलिस की यह भी जवाबदारी नहीं कि उन्हें गुनहगार साबित करें - पुलिस की जवाबदारी तो केवल कन्हैया को खूंखार देशद्रोही साबित करने की है - वो भी एन-केन-प्रकारेण ....
इसलिए मैं सोचता हूँ कि अब तो हम सब को मोदी सरकार को चेताना ही होगा ....
सावधान !! .. " नो 'O^O' बनाओइंग " ....
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