आज के दैनिक भास्कर में "आज के ट्वीट" कॉलम में किरन बेदी का एक ट्वीट छपा है ....
"सियाचिन बचाव ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना और हमारे जांबाज सैनिक को सलाम I ऐसे हालात में ही हमारी अदम्य भावना और नेतृत्व की असली परीक्षा होती है I" ..
और मित्रो मैं समझ नहीं पा रहा कि इस पूरे प्रकरण में "नेतृत्व" कहा से घुस पड़ा - और उसने कौन सी परीक्षा दे दी ?? .... मैं यह भी नहीं समझ पा रहा कि इस "अदम्य साहस" की घटना में "अदम्य भावना" की कौन सी परीक्षा हो गई ??
मैं तो सिर्फ यह ही समझ पाया हूँ कि जब व्यक्ति असली ज़िंदगी में कुछ गलत परीक्षाएं दे उन परीक्षाओं में फेल हो जाता है तो वो कुंठित हो जाता है .... और फिर उल जलूल बकवास पटकने लगता है .... वो "साहस" की बातों में भी "भावना" घुसेड़ देता है और फिर "नेतृत्व" के चक्कर में "नेतृत्व"-"नेतृत्व" का जाप करने लगता है ....
वैसे यदि कोई भक्त किरन बेदी की "अदम्य भावना" का कोई और औचित्यपूर्ण अर्थ बताने का "अदम्य साहस" कर सके तो मैं उसका और उसके "नेतृत्व" का स्वागत करूंगा ....
तो आइये अब मुद्दे की बात पर - आइये हम सब देशवासी ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमारे वीर सैनिक हनुमन थप्पा शीघ्र स्वस्थ हों .. !! जय हिन्द !!
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